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बिना खटपट किसान करें इस हजारों में बिकने वाली सब्जी की खेती, कुछ ही महीनों में लग जाएगी लॉटरी

कभी चपाती के साथ तो कभी पराठे में, सेम की सब्जी हर किसी को पसंद आती है. आजकल किसान पारंपरिक खेती से दूर होकर नकदी फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं. इससे कम समय और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. सेम की खेती भी ऐसे ही फायदेमंद विकल्पों में से एक है. इसकी पैदावार ज्यादा होती है और कम समय में तैयार हो जाती है.

तगड़ी डिमांड के साथ मानव जीवन का अनमोल हिस्सा है इस फसल की खेती बाजार में जाते ही करते है पहली खरीददारी

सेम की खेती से कमाई

एक हेक्टेयर खेत में सेम की खेती करने पर हरी सेम की तुड़ाई से लगभग 150 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है. वहीं, बाजार में सेम की कीमत 25 से 30 रुपये प्रति किलो तक चलती है. इस हिसाब से एक बार की कटाई में 1 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. वहीं, एक हेक्टेयर खेत में सिर्फ 25 से 30 किलो बीज की ही जरूरत होती है.

मिट्टी, जलवायु और तापमान

सेम की अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी या हल्की रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. हालांकि, रेतीली मिट्टी में भी इसकी अच्छी खेती हो सकती है. इसकी पीएच वैल्यू की बात करें तो 5.5 से 6 के बीच होना अच्छा माना जाता है. सेम समशीतोष्ण जलवायु में अच्छी तरह से उगते हैं. तापमान की बात करें तो 15 से 25 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त माना जाता है. हालांकि, सर्दियों में पाला पड़ने से फसल को नुकसान पहुंच सकता है.

उन्नत किस्मों का चुनाव

देश में सेम की कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जिनमें कुछ लंबी होती हैं, तो कुछ चपटी. इनके रंग भी अलग-अलग होते हैं, कुछ हरी होती हैं तो कुछ पीली और सफेद भी. उदाहरण के लिए – सी प्रोलीफिक, जवाहर सेम- 37, 53, 79, 85, कल्याणपुर-टाइप, एचडी- 1,18, पूसा सेम- 3, अरका जय, रानी, पूसा अर्ली, जेडीएल-053, अरका विजय, जवाहर सेम- 79, एचए-3 आदि. बाजार में और भी कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं.

कब और कैसे करें खेती?

सेम की खेती करने से पहले गहरी जुताई करके खेत को समतल बना लें और फिर क्यारियां तैयार कर लें. इन क्यारियों में 1.5 से 2 फीट की दूरी पर 2 से 4 बीज बोएं. सेम का पौधा बेल वाला होता है, इसलिए इन्हें सहारे की जरूरत होती है. आप इन्हें बाँस के सहारे का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे बेल जमीन से ऊपर रहती है और बीमारियों का Gefahr कम रहता है. उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में इन बीजों को अक्टूबर से नवंबर के बीच बोया जाता है. उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में यह सितंबर के महीने में किया जाता है. वहीं, पहाड़ी इलाकों में जून से जुलाई के बीच इसकी खेती की जाती है.

सेम की फली की तुड़ाई

बुवाई के 3 से 4 महीने बाद सेम की फली की तुड़ाई शुरू हो जाती है. एक बार तुड़ाई शुरू होने के बाद 3 से 4 महीने तक हरी सेम की तुड़ाई की जा सकती है. अगर इन फली को आम हरी सेम के लिए तोड़ा जाता है तो इन्हें कोमल अवस्था में ही तोड़ लेना चाहिए. इनकी बाजार में कीमत भी ज्यादा मिलती है.

बिना खटपट किसान करें इस हजारों में बिकने वाली सब्जी की खेती, कुछ ही महीनों में लग जाएगी लॉटरी

कभी चपाती के साथ तो कभी पराठे में, सेम की सब्जी हर किसी को पसंद आती है. आजकल किसान पारंपरिक खेती से दूर होकर नकदी फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं. इससे कम समय और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. सेम की खेती भी ऐसे ही फायदेमंद विकल्पों में से एक है. इसकी पैदावार ज्यादा होती है और कम समय में तैयार हो जाती है.

तगड़ी डिमांड के साथ मानव जीवन का अनमोल हिस्सा है इस फसल की खेती बाजार में जाते ही करते है पहली खरीददारी

सेम की खेती से कमाई

एक हेक्टेयर खेत में सेम की खेती करने पर हरी सेम की तुड़ाई से लगभग 150 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है. वहीं, बाजार में सेम की कीमत 25 से 30 रुपये प्रति किलो तक चलती है. इस हिसाब से एक बार की कटाई में 1 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. वहीं, एक हेक्टेयर खेत में सिर्फ 25 से 30 किलो बीज की ही जरूरत होती है.

मिट्टी, जलवायु और तापमान

सेम की अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी या हल्की रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. हालांकि, रेतीली मिट्टी में भी इसकी अच्छी खेती हो सकती है. इसकी पीएच वैल्यू की बात करें तो 5.5 से 6 के बीच होना अच्छा माना जाता है. सेम समशीतोष्ण जलवायु में अच्छी तरह से उगते हैं. तापमान की बात करें तो 15 से 25 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त माना जाता है. हालांकि, सर्दियों में पाला पड़ने से फसल को नुकसान पहुंच सकता है.

उन्नत किस्मों का चुनाव

देश में सेम की कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जिनमें कुछ लंबी होती हैं, तो कुछ चपटी. इनके रंग भी अलग-अलग होते हैं, कुछ हरी होती हैं तो कुछ पीली और सफेद भी. उदाहरण के लिए – सी प्रोलीफिक, जवाहर सेम- 37, 53, 79, 85, कल्याणपुर-टाइप, एचडी- 1,18, पूसा सेम- 3, अरका जय, रानी, पूसा अर्ली, जेडीएल-053, अरका विजय, जवाहर सेम- 79, एचए-3 आदि. बाजार में और भी कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं.

कब और कैसे करें खेती?

सेम की खेती करने से पहले गहरी जुताई करके खेत को समतल बना लें और फिर क्यारियां तैयार कर लें. इन क्यारियों में 1.5 से 2 फीट की दूरी पर 2 से 4 बीज बोएं. सेम का पौधा बेल वाला होता है, इसलिए इन्हें सहारे की जरूरत होती है. आप इन्हें बाँस के सहारे का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे बेल जमीन से ऊपर रहती है और बीमारियों का Gefahr कम रहता है. उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में इन बीजों को अक्टूबर से नवंबर के बीच बोया जाता है. उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में यह सितंबर के महीने में किया जाता है. वहीं, पहाड़ी इलाकों में जून से जुलाई के बीच इसकी खेती की जाती है.

सेम की फली की तुड़ाई

बुवाई के 3 से 4 महीने बाद सेम की फली की तुड़ाई शुरू हो जाती है. एक बार तुड़ाई शुरू होने के बाद 3 से 4 महीने तक हरी सेम की तुड़ाई की जा सकती है. अगर इन फली को आम हरी सेम के लिए तोड़ा जाता है तो इन्हें कोमल अवस्था में ही तोड़ लेना चाहिए. इनकी बाजार में कीमत भी ज्यादा मिलती है.

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