फल से लद जाएंगे लौकी के पौधे, अजमाएं ये देसी उपाय, जानिए क्या है और कैसे बनाएं

लौकी के पौधे में फूल तो बहुत लगते हैं, लेकिन फल नहीं आ रहे है, ये समस्या अब आम हो गई है। इस समस्या के समाधान के लिए एक आसान देसी उपाय है, जो न सिर्फ लौकी के पौधे को हरा-भरा रखेगा, बल्कि पौधा लौकी के फलों से लद भी जाएगा। वो देसी मिश्रण है, जो सामान्यत: सब घरों में आसानी से मिल जाता है। बता दें कि छाछ और आलू के छिलकों से बना एक सफेद घोल इस समस्या का पुख्ता समाधान है।
देखने में आता है कि लोग लौकी का पौधा लगाते हैं, पौधे में फूल तो खूब लगते हैं, पौधा खूब बढ़ता भी है, लेकिन फल नहीं लगते। इस स्थिति में यह देसी उपाय बेहद कारगर है।

छाछ और आलू के छिलकों से जैविक घोल

सामान्य रूप से देखा जाता है कि घर में बची हुई छाछ और आलू के छिलके को हम कचरे में डाल देते हैं। लेकिन आपको बता दें कि यही दो चीजें मिलकर एक ऐसा देसी जैविक घोल बनता है, जो आपकी लौकी पौधे को हरा-भरा और फलदार बना देगा।

घोल बनाने की विधि

घोल बनाने के लिए एक आधा लीटर छाछ और 2-3 आलू के छिलके मिलाकर मिश्रण को ढककर 3-4 दिन के लिए छाया में रखें। जब हल्की खटास आने लगे तब इसे पौधे की जड़ में डालें।

पौधे को पोषण देता है घोल

यह घोल पौधे को ज़रूरी पोषण देता है, मिट्टी की गुणवत्ता सुधारता है और जड़ों को मजबूत बनाता है। इससे न सिर्फ पत्तियां हरी-भरी होती हैं, बल्कि बेल में लगातार फूल और फल आने लगते हैं।

जैविक खाद लौकी के लिए बेहतर है

घर में बना जैविक खाद, जैसे छाछ और आलू के छिलके से बना घोल, पूरी तरह प्राकृतिक होता है और धीरे-धीरे मिट्टी को पोषण देता है। बता दें कि लौकी के पौधे को कैल्शियम, पोटैशियम और नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। आवश्यक ये सभी तत्व छाछ और छिलके के घोल में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। इसके अलावा, जैविक खाद से पौधे में रोगों की संभावना भी कम होती है। इसलिए देसी उपाय ही सबसे अच्छा और सुरक्षित तरीका है।

लौकी की देखभाल के जरूरी टिप्स

लौकी की बेल को रोजाना कम से कम 5-6 घंटे की धूप चाहिए। लेकिन साथ ही ज़मीन में नमी भी बनी रहनी चाहिए। बहुत ज्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं। छाछ-छिलका घोल को हर रविवार बेल की जड़ में डालें। इससे पौधे को नियमित पोषण मिलता रहेगा।

परागण भी कारगर तरीका

अक्सर देखा जाता है कि लौकी में पौधों में दो तरह के फूल आते हैं, एक नर और दूसरा मादा। यदि मादा फूल में फल बनने की शुरुआत नहीं हो रही है तो नर फूल के पराग का उससे संपर्क करवाना ज़रूरी है। इसे हाथ से परागण कहा जाता है।

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