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गिलोय की खेती: सेहत के साथ कई साल तक कराए किसान की आय, जानिए कैसे

पारंपरिक खेती से हटकर कई फसलों की खेती ऐसी हैं, जो किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती हैं। ऐसी ही है औषधीय फसल गिलोय की खेती। इसकी खेती से शानदार कमाई भी हो सकती है। गिलोय के पौधों से निकलने वाली पत्तियां, तने और फूल कई प्रकार के महंगे प्रोडक्ट और दवाइयों में उपयोग होते हैं, जिससे इसकी बाजार में बहुत मांग है। इसे अमृत वल्ली भी बोला जाता है।

गिलोय की खेती उपयुक्त मिटटी

गिलोय की खेती के लिए रेतीली, दोमट, बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है। गिलोय की बेलों पर कीड़े और बीमारियों का प्रकोप कम होता है। ये एक ईको फ्रेंडली खेती का विकल्प बनती है।

बुवाई का समय

गिलोय की खेती मुख्य रूप से जून-जुलाई के महीने में की जाती है।

प्रमुख किस्म: अमृताबालली सातवा, गिलोयसत्व, सत्तगिलो, सेंथिल कोडी।

बुवाई का तरीका
गिलोय की खेती के लिए खेत में मेड़ बाड़ या बड़े पौधे का सहारा लेना चाहिए या खेत में लता को चलने में आसानी हो। अच्छे सशक्त और जल्दी बढऩे वाले पौधों से 15- 20 से.मी. लंबाई की 4-5 आंखो वाली उंगली से थोड़ी मोटी शाखाओं के टुकड़ों को इस्तेमाल करे, इन टुकड़ों को मई-जून माह में लगाकर पौधशाला की तैयारी करनी चाहिए। इसमें कलम लगाते वक्त रेज्ड बेडस या पालीथीन बैग का प्रयोग करना चाहिए। कलम के निचले हिस्सों को रूटेक्स पाउडर के घोल में 15-20 मिनट डुबोकर रखने के बाद लगाना चाहिए पौधशाला का छाया में होना जरूरी होता है, इसके अलावा पौधशाला में एक दिन छोड़कर दूसरे दिन सिंचाई करना चाहिए 30-45 दिन बाद पौधे स्थानांतरण योग्य हो जाते हैं।

कृषि योग्य भूमि में खेती करते वक्त दो पौधे और कतार में 120-150 से.मी. का अंतर रखना चाहिए। इस फसल को अतिरिक्त खाद देने की जरूरत नहीं है, मगर स्थानांतरण के 20-25 दिन बाद प्रति पौधा 15-20 ग्राम नत्रजन की मात्रा देने से पौधे की वृद्धि में तेजी आती है।

गिलोय के फायदे
गिलोय में कई केमिकल कंपाउंड होते हैं, जो इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनमें एल्कलॉइड्स, ग्लूकोसाइड्स, टैनिन और अन्य कंपाउंड्स शामिल होते हैं। इनकी वजह से ही यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।

इम्यूनिटी बूस्टर
गिलोय शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है। यह अलग-अलग इन्फेक्शन से लड़ने में भी मदद करता है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण
गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह गठिया, जोड़ों के दर्द और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए फायदेमंद हो सकता है।

एंटी-ऑक्सीडेंट
गिलोय में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो फ्री रेडिकल से लड़ते हैं और सेल्स को डैमेज से बचाते हैं। यह समय से पहले बुढ़ापे को रोकने में भी मदद कर सकता है।

डायबिटीज कंट्रोल
गिलोय ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है, जिससे यह टाइप-2 डायबिटीज को मैनेज करने में सहायक हो सकता है।

हेल्दी लिवर
गिलोय लिवर की काम करने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है और इसे टॉक्सिन्स से बचाता है।

दुरुस्त पाचन
गिलोय पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है और कब्ज और अपच से राहत दिलाता है।

गिलोय की खेती: सेहत के साथ कई साल तक कराए किसान की आय, जानिए कैसे

पारंपरिक खेती से हटकर कई फसलों की खेती ऐसी हैं, जो किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती हैं। ऐसी ही है औषधीय फसल गिलोय की खेती। इसकी खेती से शानदार कमाई भी हो सकती है। गिलोय के पौधों से निकलने वाली पत्तियां, तने और फूल कई प्रकार के महंगे प्रोडक्ट और दवाइयों में उपयोग होते हैं, जिससे इसकी बाजार में बहुत मांग है। इसे अमृत वल्ली भी बोला जाता है।

गिलोय की खेती उपयुक्त मिटटी

गिलोय की खेती के लिए रेतीली, दोमट, बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है। गिलोय की बेलों पर कीड़े और बीमारियों का प्रकोप कम होता है। ये एक ईको फ्रेंडली खेती का विकल्प बनती है।

बुवाई का समय

गिलोय की खेती मुख्य रूप से जून-जुलाई के महीने में की जाती है।

प्रमुख किस्म: अमृताबालली सातवा, गिलोयसत्व, सत्तगिलो, सेंथिल कोडी।

बुवाई का तरीका
गिलोय की खेती के लिए खेत में मेड़ बाड़ या बड़े पौधे का सहारा लेना चाहिए या खेत में लता को चलने में आसानी हो। अच्छे सशक्त और जल्दी बढऩे वाले पौधों से 15- 20 से.मी. लंबाई की 4-5 आंखो वाली उंगली से थोड़ी मोटी शाखाओं के टुकड़ों को इस्तेमाल करे, इन टुकड़ों को मई-जून माह में लगाकर पौधशाला की तैयारी करनी चाहिए। इसमें कलम लगाते वक्त रेज्ड बेडस या पालीथीन बैग का प्रयोग करना चाहिए। कलम के निचले हिस्सों को रूटेक्स पाउडर के घोल में 15-20 मिनट डुबोकर रखने के बाद लगाना चाहिए पौधशाला का छाया में होना जरूरी होता है, इसके अलावा पौधशाला में एक दिन छोड़कर दूसरे दिन सिंचाई करना चाहिए 30-45 दिन बाद पौधे स्थानांतरण योग्य हो जाते हैं।

कृषि योग्य भूमि में खेती करते वक्त दो पौधे और कतार में 120-150 से.मी. का अंतर रखना चाहिए। इस फसल को अतिरिक्त खाद देने की जरूरत नहीं है, मगर स्थानांतरण के 20-25 दिन बाद प्रति पौधा 15-20 ग्राम नत्रजन की मात्रा देने से पौधे की वृद्धि में तेजी आती है।

गिलोय के फायदे
गिलोय में कई केमिकल कंपाउंड होते हैं, जो इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनमें एल्कलॉइड्स, ग्लूकोसाइड्स, टैनिन और अन्य कंपाउंड्स शामिल होते हैं। इनकी वजह से ही यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।

इम्यूनिटी बूस्टर
गिलोय शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है। यह अलग-अलग इन्फेक्शन से लड़ने में भी मदद करता है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण
गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह गठिया, जोड़ों के दर्द और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए फायदेमंद हो सकता है।

एंटी-ऑक्सीडेंट
गिलोय में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो फ्री रेडिकल से लड़ते हैं और सेल्स को डैमेज से बचाते हैं। यह समय से पहले बुढ़ापे को रोकने में भी मदद कर सकता है।

डायबिटीज कंट्रोल
गिलोय ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है, जिससे यह टाइप-2 डायबिटीज को मैनेज करने में सहायक हो सकता है।

हेल्दी लिवर
गिलोय लिवर की काम करने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है और इसे टॉक्सिन्स से बचाता है।

दुरुस्त पाचन
गिलोय पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है और कब्ज और अपच से राहत दिलाता है।

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