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किसान बने शुभांशु शुक्ला, अंतरिक्ष स्टेशन में उगाए मूंग और मेथी के बीज

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अपने मिशन के अंतिम चरण में एक किसान की भूमिका निभाई है। उन्होंने अंतरिक्ष में ‘मूंग और ‘मेथी के बीजों की पेट्री डिश में अंकुरित होते हुए तस्वीरें खींची। इसके बाद उन्हें ISS पर एक स्टोरेज फ्रीजर में रख दिया। यह अंतरिक्ष में एक रिसर्च का हिस्सा है। इस रिसर्च में यह देखा जा रहा है कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, अंकुरण और पौधे के शुरुआती विकास को कैसे प्रभावित करता है।

वापसी के बाद बीजों को कई पीढियों तक उगाया जाएगा

अंकुर प्रयोग का नेतृत्व धारवाड़ कृषि विज्ञान विवि और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक सुधीर सिद्दापुरेड्डी कर रहे हैं। एक्सिओम स्पेस ने एक बयान में कहा कि पृथ्वी पर वापस आने के बाद, बीजों को कई पीढिय़ों तक उगाया जाएगा। इससे उनके आनुवंशिकी, माइक्रोबियल पारिस्थितिक तंत्र और पोषण प्रोफाइल में बदलावों की जांच की जा सकेगी। माइक्रोबियल पारिस्थितिक तंत्र का मतलब है, सूक्ष्म जीवों का समुदाय।

अंतरिक्ष में माइक्रोएल्गी पर भी शुभांशु शुक्ला ने किया प्रयोग

एक अन्य प्रयोग में शुक्ला ने माइक्रोएल्गी को संग्रहीत किया। माइक्रोएल्गी पर भोजन, ऑक्सीजन और यहां तक कि जैव ईंधन का उत्पादन करने की क्षमता के लिए शोध किया जा रहा है। उनकी लचीलापन और बहुमुखी प्रतिभा उन्हें लंबी अवधि के मिशनों पर मानव जीवन का सहयोग करने के लिए आदर्श बनाती है। माइक्रोएल्गी एक शैवाल है। शुक्ला ने फसल बीज प्रयोग के लिए तस्वीरें भी क्लिक कीं। इस प्रयोग में छह किस्मों को मिशन के बाद कई पीढिय़ों तक उगाया जाएगा। इसका लक्ष्य अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए आनुवंशिक विश्लेषण के लिए वांछनीय लक्षणों वाले पौधों की पहचान करना है।

किसान बने शुभांशु शुक्ला, अंतरिक्ष स्टेशन में उगाए मूंग और मेथी के बीज

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अपने मिशन के अंतिम चरण में एक किसान की भूमिका निभाई है। उन्होंने अंतरिक्ष में ‘मूंग और ‘मेथी के बीजों की पेट्री डिश में अंकुरित होते हुए तस्वीरें खींची। इसके बाद उन्हें ISS पर एक स्टोरेज फ्रीजर में रख दिया। यह अंतरिक्ष में एक रिसर्च का हिस्सा है। इस रिसर्च में यह देखा जा रहा है कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, अंकुरण और पौधे के शुरुआती विकास को कैसे प्रभावित करता है।

वापसी के बाद बीजों को कई पीढियों तक उगाया जाएगा

अंकुर प्रयोग का नेतृत्व धारवाड़ कृषि विज्ञान विवि और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक सुधीर सिद्दापुरेड्डी कर रहे हैं। एक्सिओम स्पेस ने एक बयान में कहा कि पृथ्वी पर वापस आने के बाद, बीजों को कई पीढिय़ों तक उगाया जाएगा। इससे उनके आनुवंशिकी, माइक्रोबियल पारिस्थितिक तंत्र और पोषण प्रोफाइल में बदलावों की जांच की जा सकेगी। माइक्रोबियल पारिस्थितिक तंत्र का मतलब है, सूक्ष्म जीवों का समुदाय।

अंतरिक्ष में माइक्रोएल्गी पर भी शुभांशु शुक्ला ने किया प्रयोग

एक अन्य प्रयोग में शुक्ला ने माइक्रोएल्गी को संग्रहीत किया। माइक्रोएल्गी पर भोजन, ऑक्सीजन और यहां तक कि जैव ईंधन का उत्पादन करने की क्षमता के लिए शोध किया जा रहा है। उनकी लचीलापन और बहुमुखी प्रतिभा उन्हें लंबी अवधि के मिशनों पर मानव जीवन का सहयोग करने के लिए आदर्श बनाती है। माइक्रोएल्गी एक शैवाल है। शुक्ला ने फसल बीज प्रयोग के लिए तस्वीरें भी क्लिक कीं। इस प्रयोग में छह किस्मों को मिशन के बाद कई पीढिय़ों तक उगाया जाएगा। इसका लक्ष्य अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए आनुवंशिक विश्लेषण के लिए वांछनीय लक्षणों वाले पौधों की पहचान करना है।

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