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रानीघाटी में दो तालाब बनाने से 2000 गायों को मिला पानी

ग्वालियर, रानीघाटी की पथरीले पटार पर कोरोनाकाल के दौरान जिला पंचायत के तात्कालीन सीईओ ने मनरेगा के माध्यम से दो तालाबों का निर्माण कराया था। इन तालाबों के कारण यहां पर रहने वाली 2000 गायों को जीवनदान मिला है। इसके साथ ही यहां पर गौमुख से हमेशा बहने वाला झरना जो दो दशकों से बंद पड़ा था, वह भी चालू हो गया है। राजा नल की जन्मस्थली रानीघाटी पर भगवान रामजानकी का मंदिर है। इसके आसपास 30 वर्ग किमी में जंगल है। जिसके चलते यहां पर पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में चारे की व्यवस्था है।

मंदिर के पास जिला पंचायत ने गौशाला का निर्माण करा दिया। गौशाला की देखरेख श्रीकृष्णायन देशी गौरक्षाशाला के संत करते हैं, लेकिन यहां पर पानी की काफी समस्या थी। गर्मियों में पशुओं और गायों के लिए पानी नहीं होने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसके चलते श्रीकृष्णायन देशी गौरक्षाशाला के संतों ने यहां पर तालाबों का निर्माण प्रारंभ कराया। तालाबों का निर्माण कार्य का पता चलने पर तात्कालीन जिला पंचायत सीईओ शिवम वर्मा ने दो तालाबों का निर्माण मनरेगा के माध्यम से कराया। इसके चलते यहां पर रहने वाली 2000 गायों को 8 माह तक पानी की व्यवस्था हो गई। इसके साथ ही जंगल में रहने वाले हिरण, नीलगाय, जंगली सुअर, भालू आदि के लिए भी पानी की व्यवस्था हो गई।

पूरे क्षेत्र में सफेद पत्थर: रानीघाटी का क्षेत्र सोनचिरैया अभ्यारण के पास ही लगा है। यहां का पूरा क्षेत्र सफेद पत्थर का है, जिसके कारण यहां पर तालाब आदि के निर्माण में काफी परेशानी आती है।

इनका कहना है
रानीघाटी गौशाला को दो तालाबों के निर्माण से काफी मदद मिली है। इससे गायों को पीने के लिए पानी की व्यवस्था हो गई। साथ ही चरवाहे भी अपनी गायों एवं बकरियों को यहां पर पानी पिलाने के लिए लाने लगे हैं। रात के समय जंगली जानवर भी काफी मात्रा में आते हैं।
ऋषभानंद महाराज, श्रीकृष्णादेशी गौरक्षाशाला 

रानीघाटी में दो तालाब बनाने से 2000 गायों को मिला पानी

ग्वालियर, रानीघाटी की पथरीले पटार पर कोरोनाकाल के दौरान जिला पंचायत के तात्कालीन सीईओ ने मनरेगा के माध्यम से दो तालाबों का निर्माण कराया था। इन तालाबों के कारण यहां पर रहने वाली 2000 गायों को जीवनदान मिला है। इसके साथ ही यहां पर गौमुख से हमेशा बहने वाला झरना जो दो दशकों से बंद पड़ा था, वह भी चालू हो गया है। राजा नल की जन्मस्थली रानीघाटी पर भगवान रामजानकी का मंदिर है। इसके आसपास 30 वर्ग किमी में जंगल है। जिसके चलते यहां पर पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में चारे की व्यवस्था है।

मंदिर के पास जिला पंचायत ने गौशाला का निर्माण करा दिया। गौशाला की देखरेख श्रीकृष्णायन देशी गौरक्षाशाला के संत करते हैं, लेकिन यहां पर पानी की काफी समस्या थी। गर्मियों में पशुओं और गायों के लिए पानी नहीं होने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसके चलते श्रीकृष्णायन देशी गौरक्षाशाला के संतों ने यहां पर तालाबों का निर्माण प्रारंभ कराया। तालाबों का निर्माण कार्य का पता चलने पर तात्कालीन जिला पंचायत सीईओ शिवम वर्मा ने दो तालाबों का निर्माण मनरेगा के माध्यम से कराया। इसके चलते यहां पर रहने वाली 2000 गायों को 8 माह तक पानी की व्यवस्था हो गई। इसके साथ ही जंगल में रहने वाले हिरण, नीलगाय, जंगली सुअर, भालू आदि के लिए भी पानी की व्यवस्था हो गई।

पूरे क्षेत्र में सफेद पत्थर: रानीघाटी का क्षेत्र सोनचिरैया अभ्यारण के पास ही लगा है। यहां का पूरा क्षेत्र सफेद पत्थर का है, जिसके कारण यहां पर तालाब आदि के निर्माण में काफी परेशानी आती है।

इनका कहना है
रानीघाटी गौशाला को दो तालाबों के निर्माण से काफी मदद मिली है। इससे गायों को पीने के लिए पानी की व्यवस्था हो गई। साथ ही चरवाहे भी अपनी गायों एवं बकरियों को यहां पर पानी पिलाने के लिए लाने लगे हैं। रात के समय जंगली जानवर भी काफी मात्रा में आते हैं।
ऋषभानंद महाराज, श्रीकृष्णादेशी गौरक्षाशाला 

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