arvind mishra
भोपाल। आयुर्वेदिक इलाज की पद्धति में लोगों का रुझान बढ़ रहा है। जिन औषधिय पौधों से दवा तैयार होती है, उनकी खेती का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है। औषधीय खेती से किसानों को जोडऩे के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) की ओर से ग्रांट उपलब्ध कराई जाती है। इस मामले में मध्यप्रदेश देशभर में दूसरे नंबर है। यहां औषधीय खेती करने वाले किसानों की संख्या 11 हजार 716 है। देशभर में 59 हजार 350 किसान हैं। पहले स्थान पर आंध्र प्रदेश है। यहां किसानों की संख्या 12 हजार 859 है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से मप्र टॉप पर
राज्य भूमि (हेक्टे. में)
मध्यप्रदेश 12,551
उत्तरप्रदेश 12,300
आंध्र प्रदेश 4350
राजस्थान 4113
तमिलनाडू 3931
(लोकसभा में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार)
75 फीसदी तक सब्सिडी
एनएएम योजना के तहत औषधीय की खेती के लिए 15 किमी की परिधि में न्यूनतम 2 हेक्टेयर की भूमि वाले किसानों का समूह बनाने का प्रावधान किया गया। औषधीय खेती के लिए योजना के तहत मध्यप्रदेश में 206 संकुलों को सब्सिडी दी गई। औषधीय खेती को समर्थन देने के लिए 30 से 75 प्रतिशत की दर से सब्सिडी प्रदान की गई।
मप्र पहले पायदान पर
आयुष मंत्रालय ने अब तक 84 मेडिसिनल प्लांट के लिए किसानों को सहायता दी गई। वहीं, औषधीय खेती की जागरुकता को लेकर हुए सेमिनार, कार्यशालाओं, क्रेता-विक्रेता की बैठकों के मामले में भी मप्र पहले पायदान पर है। पिछले 64 बड़ी गतिविधियां हुई हैं।
पांच साल में बढ़ा रकबा
मध्यप्रदेश में औषधीय खेती के लिए पांच साल में 2,580 हेक्टयेर क्षेत्रफल का इजाफा हुआ है। वर्ष 2015-16 में 1,681 हेक्टेयर समर्थित क्षेत्र में खेती की गई। वहीं, वर्ष 2020-21 में खेती ब?कर 4,270 हेक्टेयर में हुई। हालांकि बीच के वर्षों में इसमें कमी और बढ़ोतरी भी देखी गई। छह वर्षों में कुल 12 हजार 551 हेक्टयेर क्षेत्र औषधीय खेती के लिए समर्थित रहा।