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अब ऐप किसान खुद भर सकेंगे अपनी फसल की गिरदावरी, जानिए कैसे

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ई-तकनीक का प्रयोग 

भोपाल। मध्यप्रदेश में फसल बीमा के लिए किसानों को बड़ी सुविधा दी जा रही है। अब किसान खुद ही फसल की जानकारी भर सकेंगे. इसके लिए एप में किसानों के लिए सुविधा शुरु की गई है। राजस्व विभाग के फसल गिरदावरी एप की मदद से किसान खुद खरीफ सीजन में अपनी फसलों की जानकारी दे सकेंगे। किसान इस बार खरीफ मौसम में बोई जा रही फसल की गिरदावरी स्‍वयं कर सकेंगे। प्रदेश के अधिकांश जिलों में गिरदावरी 20 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसकी तैयारी भी की जा रही है। हर साल खरीफ और रबी सीजन में फसलों की गिरदावरी की जाती है। प्राकृतिक आपदा से फसलों को नुकसान की स्थिति का आकलन गिरदावरी के आधार पर ही किया जाता है। अब एप के जरिए ही गिरदावरी की जा रही है जबकि पहले यह काम पटवारी और कृषि विभाग के कर्मचारी गांव-गांव खेतों में जाकर करते थे।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ई-तकनीक का प्रयोग 
आयुक्त भू अभिलेख मप्र की ओर से इस वर्ष गिरदावरी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ई-तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत मैप आईटी के द्वारा सैटेलाईट से प्राप्त ईमेज के आधार पर किसान से सत्यापन कराते हुए गिरदावरी अभिलेखों में दर्ज की जाएगी। 

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जानिए कैसे करें 
इसके लिए किसानों को एमपी किसान एप को डाउनलोड कर अपने एंड्राइड मोबाइल फोन से लागिन करना होगा। इसके बाद किसान को अपने खेत पर जाकर बोई गई फसल दर्ज कर उसका एक फोटो खींचकर अपलोड करना होगा। एक ही मोबाइल से कृषक अपने अन्य खेतों और पूरे खसरों की फसल दर्ज कर सकते हैं। इसके साथ-साथ अपने परिवार के किसी अन्‍य सदस्‍य या आस-पड़ोस के कृषकों की फसल दर्ज कर मदद कर सकते हैं। इस एप पर जानकारी अपलोड करने के बाद 31 जुलाई से इसी एप में एआइ यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी सैटेलाइट से बोई गई फसल की जानकारी दिखाई देने लगेगी। किसान द्वारा दर्ज की गई फसल और सैटेलाइट में दर्शाई गई फसल एक समान होने पर वह अपने आप सर्वर पर अपलोड हो जाएगी। यदि दोनों जानकारी में भिन्‍नता होगी तो कृषकों को खेत पर जाकर वास्‍तविक जानकारी ऊपर बताए अनुसार दर्ज करना होगी।

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समस्या से बचने मोबाइल एप तैयार किया गया 
गिरदावरी को लेकर  कई किसान समर्थन मूल्य के दौरान होने वाले पंजीयन में परेशान होते नजर आते थे। पटवारियों ने भी गिरदावरी करने का विरोध किया। अब इस तरह की समस्या पैदा ना हो इसको लेकर एक मोबाइल एप तैयार किया गया है। जिसके जरिये किसानों को गिरदावरी के लिए न तो पटवारियों के चक्कर लगाने होंगे और न सर्वे में फसल का गलत आकलन होगा। किसान एप डाउनलोड करके खुद एप के माध्यम से सेटेलाईट के जरिये अपनी फसल की गिरदावरी कर सकेंगे।

इसी एप से दावा या आपत्ति प्रस्‍तुत कर सकेंगे
फसल की जानकारी गलत दर्ज होने पर किसान 5 सितंबर तक इसी एप से अपनी बोई गई फसल को सही कराने के लिए दावा या आपत्ति प्रस्‍तुत कर सकेंगे। किसानों के दावों या आपत्तियों का निराकरण 10 सितंबर तक कर दिया जाएगा।

निश्चित समय बाद प्रक्रिया पटवारी को करनी होगी
यदि एक निश्चित समय तक कृषक किसी कारणवश गिरदावरी नहीं कर पाते हैं तो पटवारी को अंतिम दिनांक के पूर्व खेत पर ग्राउंड टुथिंग करते हुए सैटेलाइट के आधार पर गिरदावरी दर्ज करना होगी। इस प्रक्रिया में तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे कि शत-प्रतिशत गिरदावरी वास्तविक होना है।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ई-तकनीक का प्रयोग 

भोपाल। मध्यप्रदेश में फसल बीमा के लिए किसानों को बड़ी सुविधा दी जा रही है। अब किसान खुद ही फसल की जानकारी भर सकेंगे. इसके लिए एप में किसानों के लिए सुविधा शुरु की गई है। राजस्व विभाग के फसल गिरदावरी एप की मदद से किसान खुद खरीफ सीजन में अपनी फसलों की जानकारी दे सकेंगे। किसान इस बार खरीफ मौसम में बोई जा रही फसल की गिरदावरी स्‍वयं कर सकेंगे। प्रदेश के अधिकांश जिलों में गिरदावरी 20 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसकी तैयारी भी की जा रही है। हर साल खरीफ और रबी सीजन में फसलों की गिरदावरी की जाती है। प्राकृतिक आपदा से फसलों को नुकसान की स्थिति का आकलन गिरदावरी के आधार पर ही किया जाता है। अब एप के जरिए ही गिरदावरी की जा रही है जबकि पहले यह काम पटवारी और कृषि विभाग के कर्मचारी गांव-गांव खेतों में जाकर करते थे।

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निश्चित समय बाद प्रक्रिया पटवारी को करनी होगी
यदि एक निश्चित समय तक कृषक किसी कारणवश गिरदावरी नहीं कर पाते हैं तो पटवारी को अंतिम दिनांक के पूर्व खेत पर ग्राउंड टुथिंग करते हुए सैटेलाइट के आधार पर गिरदावरी दर्ज करना होगी। इस प्रक्रिया में तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे कि शत-प्रतिशत गिरदावरी वास्तविक होना है।

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