पन्ना, कृषि विज्ञान केन्द्र, पन्ना द्वारा दिनांक 05.12.2022 को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर ग्राम बिलखुरा में मृदा स्वास्थ्य एवं संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन पर कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिक डाॅ0 आर0के0 जायसवाल द्वारा कृषकों को मृदा स्वास्थ्य विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई। उनके द्वारा कृषकों को प्रत्येक 02 वर्ष में खेत की मिट्टी का परीक्षण कराये जाने एवं परीक्षण परिणाम यथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दी गई उर्वरक अनुशंसाओं को प्रयोग में लाने की बात कही गई। केन्द्र के श्री रितेश बागोरा द्वारा कृषकांे को संतुलित मात्रा में रसायनिक खाद के प्रयोग के बारे में विस्तार से बताया गया। उनके द्वारा बताया गया कि फसलों में मिट्टी परीक्षण आधारित रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए साथ ही जैव उर्वरकों का प्रयोग रसायनिक उर्वरकों को 25-30 प्रतिशत कम कर लागत में कमी कर आमदनी बढ़ाई जा सकती है। उनके द्वारा कृषकों को प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से बताया गया। प्राकृतिक खेती के घटकों यथा जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र, बृह्मास्त्र, बनाने के बारे में विस्तार से बताया गया। कार्यक्रम के अंत में रबी फसलों की समसामयिकी पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में कृषि समिति के अध्यक्ष मिजाजीलाल पटेल एवं समर्थन संस्था से प्रदीप जी, धरम जी, सहित गांव के 52 प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया।
विश्व मृदा दिवस पर मृदा स्वास्थ्य एवं संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन पर कृषक संगोष्ठी
पन्ना, कृषि विज्ञान केन्द्र, पन्ना द्वारा दिनांक 05.12.2022 को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर ग्राम बिलखुरा में मृदा स्वास्थ्य एवं संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन पर कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिक डाॅ0 आर0के0 जायसवाल द्वारा कृषकों को मृदा स्वास्थ्य विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई। उनके द्वारा कृषकों को प्रत्येक 02 वर्ष में खेत की मिट्टी का परीक्षण कराये जाने एवं परीक्षण परिणाम यथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दी गई उर्वरक अनुशंसाओं को प्रयोग में लाने की बात कही गई। केन्द्र के श्री रितेश बागोरा द्वारा कृषकांे को संतुलित मात्रा में रसायनिक खाद के प्रयोग के बारे में विस्तार से बताया गया। उनके द्वारा बताया गया कि फसलों में मिट्टी परीक्षण आधारित रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए साथ ही जैव उर्वरकों का प्रयोग रसायनिक उर्वरकों को 25-30 प्रतिशत कम कर लागत में कमी कर आमदनी बढ़ाई जा सकती है। उनके द्वारा कृषकों को प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से बताया गया। प्राकृतिक खेती के घटकों यथा जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र, बृह्मास्त्र, बनाने के बारे में विस्तार से बताया गया। कार्यक्रम के अंत में रबी फसलों की समसामयिकी पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में कृषि समिति के अध्यक्ष मिजाजीलाल पटेल एवं समर्थन संस्था से प्रदीप जी, धरम जी, सहित गांव के 52 प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया।