आज के समय में जब परंपरागत खेती से ज्यादा लाभ नहीं हो रहा, तब ऐसे में किसान भाइयों को ऐसी फसल की तलाश होती है जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे। एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Farming) ऐसी ही एक फसल है, जिससे किसान एक बार मेहनत करके 5-6 साल तक अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
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एलोवेरा की खेती कैसे की जाती है?
एलोवेरा की खेती बीजों या नर्सरी से तैयार पौधों के ज़रिये की जाती है। आमतौर पर इसकी नर्सरी से पौधे लेकर खेत में लगाना बेहतर होता है क्योंकि इससे ग्रोथ जल्दी होती है। इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी और गर्म जलवायु की जरूरत होती है। महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और तमिलनाडु जैसे राज्य एलोवेरा की खेती के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
एलोवेरा सूखा सहने वाला पौधा है, इसलिए इसे बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। एक बार पौधा लगाने के बाद यह 5 से 6 वर्षों तक उत्पादन देता रहता है। इसकी पत्तियां हर 3-4 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
एलोवेरा की खेती में लागत कितनी आती है?
अगर आप एक एकड़ ज़मीन में एलोवेरा की खेती करना चाहते हैं तो आपको लगभग ₹40,000 से ₹50,000 का खर्च आता है। इस लागत में पौधे, खेत की तैयारी, सिंचाई और मजदूरी का खर्च शामिल होता है।
एलोवेरा की खेती से कमाई कितनी होती है?
एलोवेरा की एक पत्ती का वजन लगभग 5-6 किलो होता है और बाजार में एक पत्ती की कीमत ₹5 से ₹6 तक मिलती है। एक पौधा साल भर में कई बार कटाई के योग्य हो जाता है और उससे लगभग ₹20 का लाभ हो जाता है। यदि आपने एक एकड़ में 10,000 पौधे लगाए हैं तो आप सालाना ₹2.25 लाख तक की कमाई कर सकते हैं। यही नहीं, एक पौधे से साल भर में 3 से 4 छोटे पौधे भी निकलते हैं, जिन्हें आप अगली फसल या बेचने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
एलोवेरा की मांग और उपयोग
एलोवेरा की मांग केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत अधिक है। इसका उपयोग दवा उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन (cosmetic) और खाद्य उत्पादों में किया जाता है। एलोवेरा को ‘प्राकृतिक औषधि’ माना जाता है, जो त्वचा रोगों, बालों की समस्याओं और पाचन तंत्र में लाभदायक होता है।
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एलोवेरा की खेती से जुड़े लाभ
- एक बार लगाने पर 5 से 6 साल तक उत्पादन
- कम सिंचाई की आवश्यकता
- औषधीय गुणों के कारण अधिक बाजार मांग
- घरेलू व अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में बिक्री की संभावना