पशु-सखियां करेंगी पशुओं का इलाज पशुओं का इलाज

भोपाल। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कड़ी में राज्य सरकार ने एक और निर्णय लिया है। अब स्व-सहायता समूह की महिलाओं को पशुओं के इलाज की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। वे पशुओं के टीकाकरण में भी मदद करेंगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पशुपालकों को इलाज के लिए अपने पशुओं को गांव से बाहर दूसरे स्थान पर न ले जाना पड़े। जिला स्तर पर करीब तीन हजार महिलाओं को प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब 23 जुलाई को भोपाल में राष्ट्रीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें इनमें से चुनिंदा महिलाओं को बुलाकर इलाज के लिए प्रशिक्षित किया गया। इस अवसर पर महिलाओं ने अपने अनुभव भी साझा किए। 

ए-हेल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशु-सखियों ने साझा किए अपने अनुभव

अन्य राज्यों में भी पशुपालन का प्रशिक्षण देने और लेने भी जाती हैं
प्रशासन अकादमी, भोपाल में हुए प्रशिक्षण में पशु-सखियों ने जिस तरह से अपने घर की देहरी से बाहर कदम न रखने वाली जिंदगी का हवाला देते हुए बताया कि अब वह किस तरह 30-30 किलोमीटर तक कार्यवश भ्रमण करने के साथ अन्य राज्यों में भी पशुपालन का प्रशिक्षण देने और लेने भी जाती हैं। मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने कहा कि आपकी लगन और उत्साह को देख कर समझ में आ रहा है कि मध्यप्रदेश को दुग्ध उत्पादन में देश के टॉप-थ्री राज्यों में पहुंचाने में आपका कितना बड़ा योगदान है।

शहडोल की पुष्पा कचेर पशु-सखी दीदियों के साथ गांव में पाठशाला लगाती हैं
शहडोल जिले के करकटी गांव की पुष्पा कचेर ने बताया कि वह पशुपालन में मास्टर ट्रेनर के साथ सीआरपी का काम भी करती हैं। पशु-सखी दीदियों के साथ गांव में पाठशाला लगाती हैं। उन्होंने बताया कि वह गाय-भैंस ही नहीं, बकरी, सुअर, मुर्गा-मुर्गी आदि का भी टीकाकरण करवाने के साथ पालकों को मनरेगा, गौशाला, मुर्गी-पशु शेड निर्माण में भी लाभ दिलवाती हैं। इससे स्थानीय महिलाओं की अतिरिक्त आय बढ़ी है और दुग्ध एवं पोल्ट्री उत्पादन बढ़ा है। श्रीमती कचेर प्रदेश के कई जिलों के साथ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी ट्रेनिंग दे चुकी हैं। उनके स्व-सहायता ग्रुप की 75 महिलाएं लखपति बन चुकी हैं, जिनकी वार्षिक आमदनी एक लाख रूपये को पार कर चुकी है।

शिवपुरी की विशाखा लोधी की समझाइश से बढ़ गया दुग्ध उत्पादन 
शिवपुरी जिले के खनियाधाना की विशाखा लोधी ने बताया कि वह 7 साल से स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं। पहले कभी घर से बाहर कदम नहीं निकाला था, अब सब जगह जा-आ सकती हैं। लोगों से बातचीत करना आ गया है और प्रतिमाह पशुपालन से 7-8 हजार रूपये की और सोशल ऑडिट से 12 हजार की आमदनी कर लेती हैं। परिवार का जीवन-स्तर बढ़ चुका है। समझाइश से गांव के लोगों का दुग्ध उत्पादन प्रति गाय-भैंस 2 लीटर से बढ़कर 10 लीटर हो गया है। उन्होंने अपेक्षा की कि हमें दूसरे प्रदेशों में हुए अच्छे काम देखने का मौका भी मिलना चाहिए।

भोपाल की रिंकल के अनुसार अनपढ़ के लिए भी पशुपालन में भविष्य
भोपाल जिले के रतुआ गांव की रिंकल ने कहा कि वर्ष 2017 से स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं। पशुपालन से न केवल अतिरिक्त आय हो रही है, घर के बच्चों को शुद्ध दूध, दही, मठा भी मिल रहा है, जिससे उनका विकास भी अच्छा हो रहा है। जरूरी नहीं कि पढ़े-लिखे लोग ही रोजगार करें, अनपढ़ भी शासकीय मदद से पशुपालन के क्षेत्र में अच्छी आय ले सकते हैं।

रायसेन की पशु-सखी शाहीन खान ने बताया कि पशुपालन से मिलार सहारा
रायसेन जिले के अब्दुल्लागंज की पशु-सखी शाहीन खान ने बताया कि मात्र 23 वर्ष की उम्र में वर्ष 2016 में पति को खोने के बाद पशुपालन और कुक्कुट विकास निगम से मिले चूजों से उन्हें सहारा मिला। आज वह एक किराने की दुकान भी चलाती हैं और आत्म-निर्भर होने के साथ एक आत्म-विश्वास भी महसूस करती हैं। 
श्योपुर जिले के ग्राम अगरा की पशु-सखी ने बताया कि उनकी गौशाला में 130 गाय हैं और उनकी उन्नत आर्थिक स्थिति गाँव वालों को भी प्रेरित कर रही है। 

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