भोपाल। भारत में इन दिनों मिलेट्स के उत्पादन और इसकी खपत को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत देश की अलग-अलग संस्थानों के द्वारा मिलेट्स को लेकर कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। इन कायक्रम का मुख्य उद्देश्य यह है कि मोटे अनाजों की खपत में बढ़ोतरी हो सके और इसकी पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। वहीं खरीफ फसलों में श्री अन्न एक महत्वपूर्ण फसल है। इसमें पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा तो होती ही है और साथ ही देश के किसान कम वर्षा वाले स्थान से भी इसकी अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि श्री अन्न यानी मोटे अनाजों की उन्नत किस्मों और किसानों को इसकी खेती के प्रति जागरूक करने के लिए पूसा संस्थान में इसकी कई तरह के अलग-अलग किस्मों को लगाया गया है।
पूसा संस्थान ने लगाई मिलेट्स की उन्नत किस्में
पूसा संस्थान के डॉ. सुमेर पाल सिंह के मुताबिक, लोगों व किसानों को मिलेट्स की अधिक से अधिक जानकारी मिल सकें और देश ही नहीं बल्कि विदेशों के बाजार में भी इसकी मांग अधिक बढ़ सके। इसी क्रम में पूसा संस्थान ने मिलेट्स की 9 किस्मों को लगाया हैं, जिनके नाम कुछ इस प्रकार से हैं। बाजरा, ज्वार, रागी, फॉक्सटेल बाजरा, प्रोसो बाजरा, बार्नयार्ड बाजरा, लिटल बाजरा, कोदो बाजरा और ब्राउनटॉप बाजरा है।
मिलेट्स की उन्नत किस्में
बाजरा की दो किस्में- पूसा 1201 किस्म और दूसरी किस्म पूसा 1801
रागी की दो किस्में- सीएफएमवी-1 और जीपीयू 28 किस्म
शौरघुम की उन्नत किस्में- सीएसवी 15 किस्म और सीएसएच 41 किस्म
फॉक्सटेल की उन्नत किस्में- एसआईए 3085 और एसआईए 3156 किस्म
बार्नयार्ड की उन्नत किस्में- डीएचबीएम 93-2 और डीएचबीएम 93-3 किस्म
लिटल बाजरा की उन्नत किस्में- ओएलएम 203 और डीएचएलएम 36-3 किस्म
कोदो की उन्नत किस्में- जेके 41 और आरके 390-25 किस्म
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मिलेट्स की यह सभी किस्में किसानों को उनके खेतों में अच्छी उपज के साथ-साथ बाजार में अच्छा लाभ भी उपलब्ध करवाएंगी।