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इस जंगली फसल की खेती से किसान होंगे मालामाल फायदे ऐसे की विदेशी देखते ही मोटी रकम में खरीद लेते है सारा माल

भारत में किसान हमेशा ऐसी फसल की तलाश में रहते हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो और जिसका बाजार में स्थिर मांग भी बनी रहे। ऐसे ही एक लाभदायक फसल है जंगली तुअर या जंगली अरहर। यह फसल न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बहुत अधिक मांग में है। इसके अलावा, यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी मानी जाती है।

यह भी पढ़िए :- गर्मियों में खचाखच पैसे कमाने का जरिया हजारो नहीं लाखो में खेलेंगे किसान आप भी करे बिना मेहनत की यह खेती

क्या है जंगली तुअर

जंगली तुअर एक प्रकार की दाल है, जिसकी कीमत बाजार में ₹12,000 प्रति क्विंटल तक जाती है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह पौधा एक बार लगाने पर 5 से 6 साल तक उपज देता है। इसका पौधा सामान्य अरहर की तुलना में अधिक ऊंचाई (12-14 फीट) तक बढ़ता है।किसान इसे अन्य फसलों जैसे तुअर दाल, उड़द, सोयाबीन के साथ इंटरक्रॉपिंग करके भी उगा सकते हैं, जिससे दोहरी कमाई होती है और मुख्य फसल को कोई नुकसान नहीं होता।

जंगली तुअर की खेती कैसे करें?

मिट्टी की तैयारी

इस फसल की अच्छी पैदावार के लिए 6.5 से 7.5 pH वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी में यदि कीड़े-मकोड़े या रोगाणु हैं, तो उससे निपटने के लिए किसान 50 किलो नीम की खली और 100 किलो चुना मिट्टी में मिलाकर खेत में बिखेरें। इसके बाद मिट्टी की जुताई करें और 15 दिन तक खेत को खुला छोड़ दें।

जैविक खाद मटका खाद का उपयोग

अच्छी पैदावार के लिए किसान मटका खाद का उपयोग कर सकते हैं। इसे घर पर भी बनाया जा सकता है। इसमें देसी गाय का गोबर, मूत्र, सरसों की खली और उड़द की दाल का आटा मिलाया जाता है। इस मिश्रण को 5 दिनों तक मटके में रखकर तैयार किया जाता है।

बीज और उपज

एक एकड़ जमीन में सिर्फ 1 किलो बीज की आवश्यकता होती है। सालाना दो बार कटाई होती है और प्रति एकड़ लगभग 10 क्विंटल उपज मिलती है। अगर बाजार मूल्य ₹12,000 प्रति क्विंटल हो, तो सालाना लाखों रुपये की आमदनी संभव है।

अतिरिक्त कमाई: लकड़ी से भी लाभ

जंगली तुअर के पौधों की लकड़ी भी बाजार में बिकती है। इसका उपयोग ईंधन या छोटे-मोटे घरेलू उपयोगों में किया जा सकता है, जिससे किसानों की अतिरिक्त आमदनी होती है।

यह भी पढ़िए :- शुरू कर लीजिये इस फसल की खेती 1 पेड़ की कमाई है1.25 लाख रूपये

स्वास्थ्य लाभ क्यों है विदेशों में भी मांग?

जंगली तुअर में फाइबर और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। इसे खाने से गैस, अपच या कब्ज जैसी समस्याएं नहीं होतीं। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। यही कारण है कि विदेशों में भी इसकी अच्छी मांग है।

कम लागत, उच्च मांग और दोहरी आमदनी देने वाली यह फसल किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। जो किसान जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं, उनके लिए यह एक सुनहरा अवसर है।

इस जंगली फसल की खेती से किसान होंगे मालामाल फायदे ऐसे की विदेशी देखते ही मोटी रकम में खरीद लेते है सारा माल

भारत में किसान हमेशा ऐसी फसल की तलाश में रहते हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो और जिसका बाजार में स्थिर मांग भी बनी रहे। ऐसे ही एक लाभदायक फसल है जंगली तुअर या जंगली अरहर। यह फसल न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बहुत अधिक मांग में है। इसके अलावा, यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी मानी जाती है।

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क्या है जंगली तुअर

जंगली तुअर एक प्रकार की दाल है, जिसकी कीमत बाजार में ₹12,000 प्रति क्विंटल तक जाती है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह पौधा एक बार लगाने पर 5 से 6 साल तक उपज देता है। इसका पौधा सामान्य अरहर की तुलना में अधिक ऊंचाई (12-14 फीट) तक बढ़ता है।किसान इसे अन्य फसलों जैसे तुअर दाल, उड़द, सोयाबीन के साथ इंटरक्रॉपिंग करके भी उगा सकते हैं, जिससे दोहरी कमाई होती है और मुख्य फसल को कोई नुकसान नहीं होता।

जंगली तुअर की खेती कैसे करें?

मिट्टी की तैयारी

इस फसल की अच्छी पैदावार के लिए 6.5 से 7.5 pH वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी में यदि कीड़े-मकोड़े या रोगाणु हैं, तो उससे निपटने के लिए किसान 50 किलो नीम की खली और 100 किलो चुना मिट्टी में मिलाकर खेत में बिखेरें। इसके बाद मिट्टी की जुताई करें और 15 दिन तक खेत को खुला छोड़ दें।

जैविक खाद मटका खाद का उपयोग

अच्छी पैदावार के लिए किसान मटका खाद का उपयोग कर सकते हैं। इसे घर पर भी बनाया जा सकता है। इसमें देसी गाय का गोबर, मूत्र, सरसों की खली और उड़द की दाल का आटा मिलाया जाता है। इस मिश्रण को 5 दिनों तक मटके में रखकर तैयार किया जाता है।

बीज और उपज

एक एकड़ जमीन में सिर्फ 1 किलो बीज की आवश्यकता होती है। सालाना दो बार कटाई होती है और प्रति एकड़ लगभग 10 क्विंटल उपज मिलती है। अगर बाजार मूल्य ₹12,000 प्रति क्विंटल हो, तो सालाना लाखों रुपये की आमदनी संभव है।

अतिरिक्त कमाई: लकड़ी से भी लाभ

जंगली तुअर के पौधों की लकड़ी भी बाजार में बिकती है। इसका उपयोग ईंधन या छोटे-मोटे घरेलू उपयोगों में किया जा सकता है, जिससे किसानों की अतिरिक्त आमदनी होती है।

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स्वास्थ्य लाभ क्यों है विदेशों में भी मांग?

जंगली तुअर में फाइबर और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। इसे खाने से गैस, अपच या कब्ज जैसी समस्याएं नहीं होतीं। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। यही कारण है कि विदेशों में भी इसकी अच्छी मांग है।

कम लागत, उच्च मांग और दोहरी आमदनी देने वाली यह फसल किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। जो किसान जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं, उनके लिए यह एक सुनहरा अवसर है।

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