सिंदूर का पौधा भारत में बहुत समय से उगाया जा रहा है। इसे कुमकुम ट्री, वर्मिलियन ट्री या कैमिलिया ट्री के नाम से भी जाना जाता है। इसके फल गुच्छों में आते हैं और जब फल तोड़ा जाता है, तो इसमें से लाल-नारंगी रंग निकलता है, जिसे “अनाट्टो” कहते हैं। ये रंग पूरी तरह प्राकृतिक होता है, किसी भी केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता। महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है।
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सिंदूर की मांग कहां-कहां है?
सिंदूर के बीजों से निकला रंग स्किन फ्रेंडली होता है, इसलिए कॉस्मेटिक, फूड इंडस्ट्री और दवाइयों में इसकी बहुत मांग है। भारत ही नहीं, विदेशों में भी इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है। खासकर नेचुरल प्रोडक्ट्स की मांग के चलते किसान अब सिंदूर की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।
सिंदूर की खेती में कम लागत – ज़्यादा मुनाफा
एक एकड़ ज़मीन में 400 से 500 पौधे लगाए जा सकते हैं। एक पौधा लगभग ₹900 सालाना कमाई देता है और इसकी उम्र 15 से 20 साल तक होती है। मतलब 500 पेड़ों से हर साल ₹4 लाख तक की कमाई संभव है। एक पौधा लगाने की लागत ₹30 से ₹50 तक होती है। सिंदूर को ज्यादा खाद-पानी की जरूरत नहीं होती, कीट भी कम लगते हैं, जिससे देखभाल में खर्चा कम आता है।
खेती के लिए कैसी ज़मीन और मौसम चाहिए?
अगर आपके इलाके की मिट्टी रेतीली है और पानी की निकासी अच्छी है, तो सिंदूर की खेती आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। इसे गर्म जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है। सही देखभाल और थोड़ी मेहनत से किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।