लौकी की खेती हर मौसम में की जा सकती है। सबसे पहले बीज से पौध तैयार करने के लिए नर्सरी बनानी चाहिए। इससे पौधे मज़बूत बनते हैं और बीमारियों का खतरा भी कम होता है। जब नर्सरी में पौधे तैयार हो जाएं तो उन्हें खेत में रोप दें। लगभग 30 दिन बाद तोड़ने लायक लौकी मिलने लगती है, जिसे आप सीधे बाजार में बेच सकते हैं। नर्सरी से शुरुआत करने से लागत भी कम होती है और पैदावार बढ़िया मिलती है।
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लौकी की सालभर डिमांड
लौकी एक ऐसी हरी सब्ज़ी है जिसकी डिमांड 12 महीने रहती है। यह सेहत के लिए फायदेमंद होती है, इसलिए लोग इसे सब्ज़ी, हलवा, रायता और यहां तक कि तेल बनाने में भी इस्तेमाल करते हैं। गर्मियों में तो इसकी कीमत और डिमांड दोनों बढ़ जाती हैं। अगर कुछ लौकियाँ नहीं बिकतीं, तो किसान उनके सूखने के बाद बीज निकालकर बेच देते हैं, जिससे भी अच्छी कमाई हो जाती है।
बीज और खाद से भी कमाई
लौकी के पौधे जब फल देना बंद कर देते हैं, तब उन्हें खेत में सड़ा दिया जाता है। इससे ज़मीन को जैविक खाद मिलती है, जो अगली फसल के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसके अलावा, सूखी लौकी से निकले बीज भी बाज़ार में अच्छे दामों में बिकते हैं। इस तरह सिर्फ सब्ज़ी ही नहीं, बीज और जैविक खाद से भी कमाई हो जाती है।
लागत और कमाई का हिसाब
अगर एक बीघा ज़मीन में लौकी की खेती की जाए तो लगभग ₹5000 की लागत आती है। और इसी से किसान ₹50,000 से ₹60,000 तक की कमाई कर लेते हैं। सब्ज़ी ताज़ा हो और डिमांड के वक्त बेची जाए तो दाम भी अच्छे मिलते हैं। गर्मियों में तो लौकी की कीमत आसमान छूती है।