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ठंड के मौसम में कम नहीं नहीं होगा गाय-भैंसों में दूध, बरतें ये सावधानी

ठंड के मौसम में गाय-भैंस में दूध की मात्रा कम न हो, तो जानिएइसके लिए क्या करें-क्या नहीं… ठंड के मौसम में गाय भैंस में दूध की मात्रा कम हो जाती है, जबकि चाले और राशन मे कोई कमी नहीं होती पिफर भी, लेकिन दूध उत्पादन में कमी आ ही जाती है। इसमें कमी न आए इसके लिए हमें कुछ खास ध्यान देने की जरूरत होती है। भरपूर दूध के लिए जितनी जरूरी खुराक है उतनी ही पशुओं की देखभाल भी जरूरी है। क्योंकि अगर पशु को ठंड लगी और देखभाल न होने से वो बीमार हो गया या तनाव में आ गया तो फिर दूध उत्पादन घटने की आशंका ज्यादा रहती है।

ज्यादा देखभाल की जरूरत

इसीलिए गाय-भैंस के बाड़े में बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। क्योंकि दिसम्बर-जनवरी के महीने में पशु हीट में ज्या‍दा आता है। वहीं गर्मी में गाभिन कराए गए पशु इस दौरान बच्चा देने वाले होते हैं। लेकिन कुछ ऐहतियाती कदम उठाकर पशुपालक परेशानी और आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं। पशुपालकों की मदद के लिए सरकार और संबंधित पशुपालन विभाग की ओर से मौसम के मुताबिक की जाने वाली देखभाल को लेकर एडवाइजरी भी जारी की जाती है।

ठंड से बचाव का रखें खास ध्यान, करें ये काम

  • दिन और रात के मौसम का अपडेट लेते रहें।
  • पशुओं को शीत लहर से बचाने के सभी इंतजाम कर लें।
  • रात के वक्त बाड़े को तिरपाल आदि से अच्छी तरह ढककर रखें।
  • पशुओं के नीचे फर्श पर पुआल आदि बिछा दें।
  • बाड़े में रोशनी रखें और जगह को गर्म रखने का इंतजाम कर लें।
  • पशुओं को सूखी जगह पर ही बांधे।
  • पशुओं को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाएं।
  • उम्र और बीमारी के हिसाब से पशुओं को जरूरी टीके लगवाएं।
  • मक्खी-मच्छर से बचाने को बाड़े में लैमनग्रास और नारगुण्डी टांग दें।
  • नीम तेल इस्तेमाल करने से मक्खी-मच्छर पशुओं के पास नहीं आते हैं।
  • पशुओं को मोटे कपड़े और बोरी आदि से ढककर रखें।
  • पशुओं को गर्म रखने के लिए खली और गुड़ खिलाएं।
  • पशुओं को दिन में तीन से चार बार हल्का गर्म पानी पिलाएं।
  • किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण देखते ही पशु को डॉक्टार को दिखाएं।
  • बीमार, कमजोर और गाभिन पशु का खास ख्याल रखें।
  • मृत पशु के शव का निस्तारण आबादी और तालाब आदि से दूर करें।
  • आग लगने में सहायक वस्तुओं को पशु के बाड़े से दूर रखें।
  • पशु के नए बाड़े का निर्माण मौसम के हिसाब से ही कराएं।
  • सर्दी के मौसम में ये काम ना करें पशुपालक
  • सर्दियों के मौसम में पशुओं को खुला ना छोड़ें।
  • सर्दी के मौसम में पशु मेलों का आयोजन नहीं करना चाहिए।
  • ठंडा चारा और पानी पशुओं को नहीं देना चाहिए।
  • नमी और धुंए वाली जगह पर पशुओं को नहीं रखना चाहिए।
  • बाड़े में नमी और धुंए से निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।
  • बीमार होने पर पशु को सिर्फ डॉक्टर को ही दिखाएं।

ठंड के मौसम में कम नहीं नहीं होगा गाय-भैंसों में दूध, बरतें ये सावधानी

ठंड के मौसम में गाय-भैंस में दूध की मात्रा कम न हो, तो जानिएइसके लिए क्या करें-क्या नहीं… ठंड के मौसम में गाय भैंस में दूध की मात्रा कम हो जाती है, जबकि चाले और राशन मे कोई कमी नहीं होती पिफर भी, लेकिन दूध उत्पादन में कमी आ ही जाती है। इसमें कमी न आए इसके लिए हमें कुछ खास ध्यान देने की जरूरत होती है। भरपूर दूध के लिए जितनी जरूरी खुराक है उतनी ही पशुओं की देखभाल भी जरूरी है। क्योंकि अगर पशु को ठंड लगी और देखभाल न होने से वो बीमार हो गया या तनाव में आ गया तो फिर दूध उत्पादन घटने की आशंका ज्यादा रहती है।

ज्यादा देखभाल की जरूरत

इसीलिए गाय-भैंस के बाड़े में बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। क्योंकि दिसम्बर-जनवरी के महीने में पशु हीट में ज्या‍दा आता है। वहीं गर्मी में गाभिन कराए गए पशु इस दौरान बच्चा देने वाले होते हैं। लेकिन कुछ ऐहतियाती कदम उठाकर पशुपालक परेशानी और आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं। पशुपालकों की मदद के लिए सरकार और संबंधित पशुपालन विभाग की ओर से मौसम के मुताबिक की जाने वाली देखभाल को लेकर एडवाइजरी भी जारी की जाती है।

ठंड से बचाव का रखें खास ध्यान, करें ये काम

  • दिन और रात के मौसम का अपडेट लेते रहें।
  • पशुओं को शीत लहर से बचाने के सभी इंतजाम कर लें।
  • रात के वक्त बाड़े को तिरपाल आदि से अच्छी तरह ढककर रखें।
  • पशुओं के नीचे फर्श पर पुआल आदि बिछा दें।
  • बाड़े में रोशनी रखें और जगह को गर्म रखने का इंतजाम कर लें।
  • पशुओं को सूखी जगह पर ही बांधे।
  • पशुओं को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाएं।
  • उम्र और बीमारी के हिसाब से पशुओं को जरूरी टीके लगवाएं।
  • मक्खी-मच्छर से बचाने को बाड़े में लैमनग्रास और नारगुण्डी टांग दें।
  • नीम तेल इस्तेमाल करने से मक्खी-मच्छर पशुओं के पास नहीं आते हैं।
  • पशुओं को मोटे कपड़े और बोरी आदि से ढककर रखें।
  • पशुओं को गर्म रखने के लिए खली और गुड़ खिलाएं।
  • पशुओं को दिन में तीन से चार बार हल्का गर्म पानी पिलाएं।
  • किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण देखते ही पशु को डॉक्टार को दिखाएं।
  • बीमार, कमजोर और गाभिन पशु का खास ख्याल रखें।
  • मृत पशु के शव का निस्तारण आबादी और तालाब आदि से दूर करें।
  • आग लगने में सहायक वस्तुओं को पशु के बाड़े से दूर रखें।
  • पशु के नए बाड़े का निर्माण मौसम के हिसाब से ही कराएं।
  • सर्दी के मौसम में ये काम ना करें पशुपालक
  • सर्दियों के मौसम में पशुओं को खुला ना छोड़ें।
  • सर्दी के मौसम में पशु मेलों का आयोजन नहीं करना चाहिए।
  • ठंडा चारा और पानी पशुओं को नहीं देना चाहिए।
  • नमी और धुंए वाली जगह पर पशुओं को नहीं रखना चाहिए।
  • बाड़े में नमी और धुंए से निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।
  • बीमार होने पर पशु को सिर्फ डॉक्टर को ही दिखाएं।

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