होम किसानों के अनुभव कृषि यंत्र कृषि योजनाएं खेती किसानी पंचायत की योजनाएं पशुधन
मेन्यू
Jagatgaon Logo
Home Videos Web Stories
E Paper
पंचायत की योजनाएं खेती किसानी कृषि योजनाएं कृषि यंत्र किसानों के अनुभव पशुधन मप्र/छत्तीसगढ़ वैज्ञानिकों के विचार सक्सेस स्टोरी लाइफस्टाइल

अब सिंघाडे की खेती होगी फायदेमंद सरकार देगी अनुदान, जानिए कैसे करें खेती

भोपाल, मध्यप्रदेश के किसानों के लिए सिंघाड़ा की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा सिंघाड़ा की खेती के लिए अनुदान दिया जाएगा। उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह ने मंत्रालय में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिये।

तालाबों में उगने वाली सिंघाड़े की फसल को मिट्टी के खेतों में भी उन्नत कृषि तकनीक अपनाकर मुनाफा कमाया जा सकता है। निचले खेतों में पानी का भराव करके सिंघाड़े की खेती की जाती है। पानी की वजह से सिंघाड़े की फसल को आवारा मवेशियों द्वारा नुकसान पहुंचाने का खतरा भी कम होता है। ऐसे में सिंघाड़े की खेती से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। 

पहली तुड़ाई सिंतबर के महीने में

सिंघाड़ा जून से दिसंबर के मध्य की फसल है। इसकी खेती के लिए लगभग एक से दो फीट तक पानी की आवश्यकता होती है। निचले खेतों में पानी का भराव करके सिंघाड़े की फसल आसानी से उगाई जा सकती है। जून में पौधे की रोपाई की जाती है और सिंघाड़े की पहली तुड़ाई सिंतबर के महीने में कर सकते हैं।

सिंघाड़े की बुवाई का सही समय
मॉनसून की बारिश के साथ ही सिघाड़े की बुवाई शुरू होती है। बरसात का मौसम शुरू होते ही जून-जुलाई में सिंघाड़ा बोया जाता है। आमतौर पर छोटे तालाबों, पोखरों में सिंघाड़े का बीच बोया जाता है लेकिन मिट्टी के खेतों में गड्ढे बनाकर उसमें पानी भरके भी पौधों की रोपाई की जाती है। जून से दिसंबर यानी 6 महीने की सिंघाड़े की फसल से बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है।

1-2 फीट पानी में होती है सिघाड़े की खेती
सिंघाड़े की खेती ऐसी जगह पर की जाती है जहां कम से कम 1-2 फीट पानी जमा हो। सेठपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने तालाब की जगह अपने खेतों में सिंघाड़े की खेती की है, जो उनके लिए बड़ी उपलब्धि है, इससे उन्होंने अच्छा मुनाफा भी कमाया है।

सिंघाड़े की किस्में
सिंघाड़े की कई किस्में होती हैं। जिसमें लाल चिकनी गुलरी, लाल गठुआ, हरीरा गठुआ, कटीला किस्मों की पहली तुड़ाई पौधे की रोपाई के 120-130 दिन में होती है। जबकि करिया हरीरा की पहली तुड़ाई पौधे की रोपाई के कम से कम 150 दिन बाद होती है।

तालाब जरूरी नहीं, खेत में भी खेती कर सकते हैं
ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि सिंघाड़ा की खेती केवल तालाब में हो सकती है परंतु ऐसा नहीं है। आप अपने छोटे से खेत में भी सिंघाड़ा की खेती कर सकते हैं। खेत में जून से लेकर जनवरी तक 60-120 सेंटीमीटर तक पानी भरना होता है। बरसात से पहले बुवाई की जाती है और बारिश में सिंघाड़े की फसल बहुत तेजी से बड़ी होती है।

12 महीने तक ली जा सकती है फसल 
अच्छी बात यह है कि इसकी फसल साल के 12 महीने तक ली जा सकती है। क्योंकि सिंघाड़े का आटा व्रत एवं उपवास में उपयोग किया जाता है इसलिए इस के अच्छे दाम मिलते हैं। सूखे सिंघाड़े की कीमत ₹120 किलो तक होती है। उत्तर प्रदेश और बिहार में इसकी सबसे ज्यादा कीमत मिलती है।तालाब के

पास बगीचा और तार फेंसिंग के लिए भी सरकार पैसा देगी
राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने कहा कि उद्यानिकी किसानों की माँग के अनुसार उन्नत किस्म के बीज और पौधे विभाग उपलब्ध करवायेगा। उन्होंने कहा कि यदि तालाब के पास कुछ खाली जमीन है तो आप एक बगीचा भी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी फसलों को आवारा मवेशियों और जंगली जानवरों से सुरक्षित रखने के लिये खेत की तार-फेंसिंग के लिये अनुदान देने की योजना शुरू की जायेगी। 

अब सिंघाडे की खेती होगी फायदेमंद सरकार देगी अनुदान, जानिए कैसे करें खेती

भोपाल, मध्यप्रदेश के किसानों के लिए सिंघाड़ा की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा सिंघाड़ा की खेती के लिए अनुदान दिया जाएगा। उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह ने मंत्रालय में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिये।

तालाबों में उगने वाली सिंघाड़े की फसल को मिट्टी के खेतों में भी उन्नत कृषि तकनीक अपनाकर मुनाफा कमाया जा सकता है। निचले खेतों में पानी का भराव करके सिंघाड़े की खेती की जाती है। पानी की वजह से सिंघाड़े की फसल को आवारा मवेशियों द्वारा नुकसान पहुंचाने का खतरा भी कम होता है। ऐसे में सिंघाड़े की खेती से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। 

पहली तुड़ाई सिंतबर के महीने में

सिंघाड़ा जून से दिसंबर के मध्य की फसल है। इसकी खेती के लिए लगभग एक से दो फीट तक पानी की आवश्यकता होती है। निचले खेतों में पानी का भराव करके सिंघाड़े की फसल आसानी से उगाई जा सकती है। जून में पौधे की रोपाई की जाती है और सिंघाड़े की पहली तुड़ाई सिंतबर के महीने में कर सकते हैं।

सिंघाड़े की बुवाई का सही समय
मॉनसून की बारिश के साथ ही सिघाड़े की बुवाई शुरू होती है। बरसात का मौसम शुरू होते ही जून-जुलाई में सिंघाड़ा बोया जाता है। आमतौर पर छोटे तालाबों, पोखरों में सिंघाड़े का बीच बोया जाता है लेकिन मिट्टी के खेतों में गड्ढे बनाकर उसमें पानी भरके भी पौधों की रोपाई की जाती है। जून से दिसंबर यानी 6 महीने की सिंघाड़े की फसल से बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है।

1-2 फीट पानी में होती है सिघाड़े की खेती
सिंघाड़े की खेती ऐसी जगह पर की जाती है जहां कम से कम 1-2 फीट पानी जमा हो। सेठपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने तालाब की जगह अपने खेतों में सिंघाड़े की खेती की है, जो उनके लिए बड़ी उपलब्धि है, इससे उन्होंने अच्छा मुनाफा भी कमाया है।

सिंघाड़े की किस्में
सिंघाड़े की कई किस्में होती हैं। जिसमें लाल चिकनी गुलरी, लाल गठुआ, हरीरा गठुआ, कटीला किस्मों की पहली तुड़ाई पौधे की रोपाई के 120-130 दिन में होती है। जबकि करिया हरीरा की पहली तुड़ाई पौधे की रोपाई के कम से कम 150 दिन बाद होती है।

तालाब जरूरी नहीं, खेत में भी खेती कर सकते हैं
ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि सिंघाड़ा की खेती केवल तालाब में हो सकती है परंतु ऐसा नहीं है। आप अपने छोटे से खेत में भी सिंघाड़ा की खेती कर सकते हैं। खेत में जून से लेकर जनवरी तक 60-120 सेंटीमीटर तक पानी भरना होता है। बरसात से पहले बुवाई की जाती है और बारिश में सिंघाड़े की फसल बहुत तेजी से बड़ी होती है।

12 महीने तक ली जा सकती है फसल 
अच्छी बात यह है कि इसकी फसल साल के 12 महीने तक ली जा सकती है। क्योंकि सिंघाड़े का आटा व्रत एवं उपवास में उपयोग किया जाता है इसलिए इस के अच्छे दाम मिलते हैं। सूखे सिंघाड़े की कीमत ₹120 किलो तक होती है। उत्तर प्रदेश और बिहार में इसकी सबसे ज्यादा कीमत मिलती है।तालाब के

पास बगीचा और तार फेंसिंग के लिए भी सरकार पैसा देगी
राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने कहा कि उद्यानिकी किसानों की माँग के अनुसार उन्नत किस्म के बीज और पौधे विभाग उपलब्ध करवायेगा। उन्होंने कहा कि यदि तालाब के पास कुछ खाली जमीन है तो आप एक बगीचा भी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी फसलों को आवारा मवेशियों और जंगली जानवरों से सुरक्षित रखने के लिये खेत की तार-फेंसिंग के लिये अनुदान देने की योजना शुरू की जायेगी। 

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment