अनूठी पहल: पकौड़े-समोसे तलने के बाद बचे तेल बनेगा बायो डीजल

कुकिंग ऑयल के दोबारा इस्तेमाल से होती हैं गंभीर बीमारियां

इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम-हिंदुस्तान को मिला जिम्मा

इंदौर में लगेगा प्रदेश का पहला 30 टन उत्पादन का संयंत्र

भोपाल, दुकानों पर पकौड़े, कचौरी या अन्य खान-पान की चीजें तलने के बाद बचे तेल का फिर से उपयोग करना आम बात है, जबकि ये सेहत के लिए खतरनाक है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए मप्र सरकार जल्द ही एक अनूठी पहल करने जा रहा है। जी हां, इस्तेमाल हो चुके कुकिंग ऑयल से बायो डीजल बनाया जाएगा। जिससे गाडिय़ां भी चलेंगी। गौरतलब है कि देश के साथ ही मप्र में भी पेट्रोल-डीजल और एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम आसमान छू रहे हैं।

देश में सबसे महंगा पेट्रोल-डीजल मप्र में मिल रहा है। भोपाल की बात की जाए तो पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। इसी तरह डीजल भी 100 रुपए लीटर के करीब पहुंच गया है। वहीं एलपीजी का 14 किलो का गैस सिलेंडर 850 रुपए में मिल रहा है। दरअसल, भोपाल सहित प्रदेश में बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और खाद्य पदार्थ बनाने वाली फैक्ट्रियों में खाद्य सामग्री बनाने के बाद हमेशा तेल बच जाता है। अब जल्द ही खाद्य फैक्ट्रियों और होटलों की यह परेशानी खत्म होने वाली है। अब उपयोग किए गए खाद्य तेल से बायो डीजल बनाया जाएगा। इस संबंध में हाल ही में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम की ऑयल कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई है। बैठक में यह सामने आया है कि बायो डीजल प्लांट के लिए रोजाना 40 टन जले हुए खाद्य तेल की जरूरत होगी। हालांकि वर्तमान में सिर्फ भोपाल में ही यूज कुकिंग ऑयल खरीदा जा रहा है। 

भोपाल में जमा कर रहे तेल 

भोपाल में ईट राईट चैलेंज के तहत उपयोग किए गए खाद्य तेल को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके लिए एक निजी कंपनी आगे आई है। कंपनी 30 रुपए लीटर उपयोग किया हुआ तेल खरीद रही है। जनवरी तक 2100 लीटर से अधिक तेल जमा किया गया था। उपयोग किए गए खाद्य तेल को लेकर शुरू किए अभियान के तहत कई एजेंसियां खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण नहीं दिल्ली द्वारा अधिकृत की गई है।

इंदौर में बनेगा तेल संग्रहण केंद्र

इंदौर शहर के पास भी फरसपुर गांव में बायो डीजल संयंत्र और पास में ही तेल संग्रहण केंद्र बनाया जा रहा है। इंदौर के 200 किमी के दायरे में आने वाले 16 जिलों के नमकीन उद्योग, रेस्त्रां और होटलों का अनुपयोगी खाद्य तेल जुटाया जाएगा। इनमें इंदौर, उज्जैन, देवास, रतलाम, धार, भोपाल, शाजापुर, मंदसौर, नीमच, खंडवा, खरगोन आदि शामिल हैं।

देश में हर साल बनेगा 110 करोड़ लीटर बायो डीजल

भारत में हर साल 2,700 करोड़ लीटर कुकिंग ऑइल का इस्तेमाल होता है, जिसमें से 140 करोड़ का होटल्स, रेस्त्रां और कैंटीन से एकत्र किया जा सकता है। इनसे हर साल करीब 110 करोड़ लीटर बायो डीजल बनाया जाएगा। इस समय यूसीओको कलेक्ट करने के लिए कोई चेन नहीं है।
इंदौर में पहला संयंत्र होगा
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आईओसी के साथ यह पहल की है। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु आदि में 14 स्थानों पर इस तरह के बायो डीजल संयंत्र हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर में अपनी तरह का यह पहला संयंत्र होगा। 

इनका कहना है
शासन की ओर से बायो डीजल नीति बनाई गई है। इसमें रियूज कुकिंग ऑयल से बायो डीजल बनाने को प्राथमिकता दी गई है। हमारा लक्ष्य है कि हम 100 टन तक उपयोग किया गया कुकिंग ऑयल जमा करें। 
तरुण पिथौड़े, एमडी, संचालक खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण 

कुकिंग ऑयल के अलावा बायो डीजल कई रूपों में उपलब्ध है। यह व्यर्थ से धन में परिवर्तन है। हम बायोफ्यूल डे को वैकल्पिक ऊर्जा दिवस के रूप में मनाएंगे। इस्तेमाल हो चुके तेल को दोबारा खाने में इस्तेमाल से कई बीमारियां होती हैं।
धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री

इंदौर के लिए बायो डीजल बनाने वाली दो-तीन कंपनियों को लेटर ऑफ इंटेंट- शुरुआती सहमति पत्र दिया है। एक कंपनी आगे आई है। हम उनसे 10 साल के लिए बायो डीजल खरीदेंगे।
पीसी गुप्ता,  उप महाप्रबंधक, आईओसी के रिन्यूएबल एनर्जी विभाग, दिल्ली

हमें उम्मीद है कि मप्र के16 जिलों से 40 टन तेल की पूर्ति आराम से हो जाएगी। हम नमकीन और चिप्स निर्माताओं से लगातार संपर्क में हैं। चयनित जिलों में कुकिंग ऑयल भारी मात्रा में बचता है।
 विजय ओसवाल, डायरेक्टर, तेल एकत्रित करने वाली एमजी रिन्यूएबल एनर्जी 

खाने के किसी भी तेल को तीन बार से अधिक गर्म करने पर यह स्वास्थ्य के लिए घातक हो जाता है। भारत सरकार की बायो डीजल नीति में रियूज कुकिंग ऑयल से बायो डीजल के निर्माण को शामिल किया गया है।  
अरविंद पथरौल, खाद्य सुरक्षा के राज्य नोडल अधिकारी

शासन की ओर से बायो डीजल नीति बनाई गई है। इसमें रियूज कुकिंग ऑरूल से बायो डीजल बनाने को प्राथमिकता दी गई है। एफएसएसएआई इसमें समन्वयक की भूमिका में है। बायो डीजल से जब गाडिय़ा चलेंगी तो प्रदूषण खत्म हो जाएगा।
अभिषेक दुबे, संयुक्त नियंत्रक, खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग

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