वैज्ञानिकों का अनोखा शोध, एक ही पौधे में उगाए आलू, बैंगन और टमाटर

arvind mishra
भोपाल/नई दिल्ली, हमारे देश के वैज्ञानिक नई-नई खोज करते रहते हैं, ना सिर्फ चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में, बल्कि आज हर क्षेत्र में हम आगे हैं। इसी प्रकार से जहां खेती के लिए पहले पुराने तरीके ही उपयोग में लाए जाते थे। वहीं अब नए-नए तरीकों से खेती की जा रही है। इसके साथ ही कृषि में कई प्रकार के शोध और अनुसंधान किए जा रहे हैं, जिससे किसानों को उम्मीद से बढ़कर फायदा मिल रहा है।

ऐसी ही एक खोज की है डॉ. आनंद बहादुर सिंह ने। उन्होंने वाराणसी के शहंशाहपुर में भारतीय किसान अनुसंधान संस्थान में शोध करके ग्राफ्टिंग तकनीक से इस प्रकार के पौधे उगाए हैं, जिसमें दो भिन्न-भिन्न सब्जियां एक ही पौधे में उगाई जा रही हैं। जैसे आलू और बैंगन एक पौधे में। टमाटर और बैंगन एक पौधे में उगाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2013-14 से ग्राफ्टिंग टेक्निक की शुरुआत हुई थी, जिससे ऐसे किसानों को बहुत फायदा मिला है जहां पर बारिश के मौसम में बहुत दिनों तक पानी भरा हुआ रहता है।

सब्जियों का नया शोध: डॉ. आनंद बहादुर सिंह वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक हैं। इन्होंने एक ही पौधे में दो सब्जियां उगाकर एक अनूठा शोध किया है। इसे ग्राफ्टिंग तकनीक कहा जाता है, जिससे टमाटर के पौधे में बैंगन के पौधे को कलम करके उन्हें एक ही पौधे में उगा रहे हैं। ये खास पौधे 24-28 डिग्री टम्प्रेचर में 85 फीसदी से ज्यादा नमी और बिना प्रकाश की नर्सरी में ही तैयार किए जा रहे हैं।

शहरों में के लिए उपयुक्त: इस तकनीक को विशेष रूप से शहरों में रहने वाले ऐसे लोगों के लिए तैयार किया गया है, जिन लोगों के पास पौधे उगाने के लिए स्थान की कमी होती है। क्योंकि आजकल शहरों में रहने वाले बहुत से लोग बाजार की केमिकल वाली सब्जियां खाना पसंद नहीं करते हैं। इसलिए घर में ही थोड़ी जगह में सब्जियां उगाते हैं या फिर टेरेस गार्डन बनाकर अपने मनपसंद पौधे उगाते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह तकनीक कारगर है।  

ग्राफ्टिंग टेक्निक्स से किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा। साथ ही उनकी कमाई भी होगी। मैंने वर्ष 2013-14 से ही ग्राफ्टिंग टेक्निक पर काम करना शुरू कर दिया था। पहले तो हमने आलू और टमाटर दोनों सब्जियां एक ही पौधे में उगाई फिर जब उससे अच्छी फसल प्राप्त हुई तो बैंगन और टमाटर को भी ग्राफ्टिंग से एक ही पौधे में उगा लिया। हमारी सारी टीम अब एक ही पौधे में आलू, टमाटर और बैंगन एक साथ पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। एक या दो साल में यह लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा।
जगदीश सिंह, डायरेक्टर, भारतीय 

अनुसंधान संस्थान, वाराणसी

ग्राफ्टिंग करने के 15-20 दिन के बाद पौधों को खेत में रोपा जाता है। फिर इसमें उचित मात्रा में उर्वरक और पानी डाला जाता है। साथ ही पौधे की कांट-छांट भी की जाती है। पौधे लगाने के 60 से 70 दिन के बाद इनमें फल लगना शुरू हो जाते हैं। हमें उम्मीद है ग्राफ्टिंग तकनीक से किसान लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही उन लोगों को भी बहुत फायदा मिलेगा, जो गार्डनिंग के शौकीन हैं और अपने घर पर ही उगाए हुए फल और सब्जियां खाना पसंद करते हैं।
डॉ. आनंद बहादुर सिंह, वैज्ञानिक, भारतीय 
सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी

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