बैतूल जिले में प्लांट क्लीनिक आयोजित किए गए

बैतूल। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा  गत दिनों  जिले के ग्राम जम्बाड़ा, भडूस, चोपना, करपा, बोरीखुर्द, चौथिया एवं हीरापुर में प्लांट क्लीनिक आयोजित  किए गए। प्लांट क्लीनिक दलों के द्वारा किसानों को खरीफ बुआई, बीजों का चयन, बीजोपचार, कल्चर का उपयोग, बीजों की उन्नत किस्में, उर्वरकों का संतुलित उपयोग, जैविक खाद का महत्व, … Read more

अच्छे उत्पादन के लिए अमरूद की उन्नत खेती, जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक

अमरूद मिर्टेन्सी कुल का पौधा है जो सिडियम वंश के अंतर्गत आता है। इसका वैज्ञानिक नाम सिडियम ग्वाजावा है। इसका उत्पत्ति स्थान उष्ण कटिबंधीय अमेरिका को माना जाता है। अमरुद भारत का एक प्रसिद्ध फल है| अमरूद ताजे रूप में खाने के अलावा कई मूल्यवर्धक उत्पाद जैसे जैम, जैली, आर.टी.एस., आईसक्रीम, चीज, टाफी इत्यादि बनाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।

जानिए… कैसे करें टमाटर की उन्नत खेती और कमाएं ज्यादा मुनाफा

डॉ. मनमोहन सिंह भूरिया डॉ. एन आर रंगारे दिनेश कुमार कुलदीप मनीष कुमार  जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर टमाटर की खेती अलग अलग तरह की मिटटी में की जा सकती है, किन्तु अच्छि फसल हेतु उचित  जल निकास वाली दोमट मिट्टी लाभकारी होती है। इसके लिए 6-7 pH अच्छा माना जाता है | टमाटर … Read more

आलू की उन्नत खेती: जानिए उन्नत किस्मों के बारे में और खेती की विधि

दिनेश कुमार कुलदीपडॉ. एन आर रंगारेडॉ. मनमोहन सिंह भूरियाडॉ सौरव गुप्ता, विषय विशेषज्ञ जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुरकृषि विज्ञान केंद्र, खंडवा(म.प्र.) आलू देश की महत्वपूर्ण सब्जी वाली फसलों में से एक है इसकी औसत पैदावार 200-250 कु. प्रति हेक्टयर है, इससे बनने वाली खाद्य सामग्री इसे और अधिक रोचक बना देते है। जैसे- फिगंर चिप्स, … Read more

जानिए प्याज और लहसुन में लगने वाले रोग और कीट और उनके रोकथाम के उपाय

डॉ. एन आर रंगारे दिनेश कुमार कुलदीप डॉ. मनमोहन सिंह भूरिया जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर प्याज एवं लहसुन भारत में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण फसलें है। इनकों सलाद के रूप में, सब्जी में, आचार या चटनी बनाते समय प्रयोग में लाते हैं। प्याज एवं लहसुन में विभिन्न औषधीय गुण भी पाये जाते … Read more

रबी फसलों की बुवाई हेतु किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

टीकमगढ़। कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बीएस किरार साथ ही केंद्र के वैज्ञानिकों डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के सिंह, डॉ. एसके जाटव, डॉ. यूएस धाकड़, डॉ. आईडी सिंह द्वारा रबी फसलों की बुवाई हेतु खेत की कल्टीवेटर या रोटावेटर से अच्छी तरह से खेती की तैयारी कर लें। चना की … Read more

गेहूं की खेती: अच्छी उपज के लिए उन्नतशील प्रजातियों का चयन और उर्वरक का सही प्रयोग जरूरी

भारत ने पिछले चार दशकों में गेहूं उत्पादन में उपलब्धि हासिल की है। गेहूं का उत्पादन साल 1964-65 में जहां सिर्फ 12.26 मिलियन टन था, जो बढ़कर साल 2019-20 में 107.18 मिलियन टन के एक ऐतिहासिक उत्पादन शिखर पर पहुंच गया है। भारत की जनसंख्या को खाद्य एवं पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए गेहूँ के उत्पादन व उत्पादकता में निरन्तर वृद्धि की आवश्यकता है।

चने की उन्नत खेती: जानिए उन्नतिशील प्रजातियां और आवश्यक उर्वरकों की मात्रा

कृषि विज्ञान केन्द्र के ग्वालियर प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ राज सिंह कुशवाह के अनुसार चने की उन्नतिशील प्रजातियां:- RVG-202, RVG-203, RVG -204, पूसा मानव, पूसा पारवती एवं पूसा चिकपी -10216। बुवाई के पूर्व बीज को किसी भी फफूंद नाशक से उपचारित अवश्य करें।

जानिए सरसो की उन्नतशील किस्मों के बारे में, जो अच्छी पैदावार के साथ दिलाएंगी आच्छा मुनाफा

कृषि विज्ञान केन्द्र के ग्वालियर प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ राज सिंह कुशवाह के अनुसार RH -725, RH – 749 एवं गिर्राज ये तीनों किस्में उपयुक्त है। लगभग 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता है। रोगों के प्रति सहनशील हैं। बुवाई के पूर्व बीज को उपचारित अवश्य करें।

फूलगोभी की खेती किसानों को कर सकती है मालामाल, जानिए उन्नत किस्में और खेती की विधि

फूलगोभी की खेती किसान हर एक सीजन में कर सकते हैं। वहीं लोगों के द्वारा फूल गोभी का इस्तेमाल सब्जी, सूप और आचार आदि बनाने के लिए किया जाता है। क्योंकि इस सब्जी में विटामिन-बी की मात्रा के साथ प्रोटीन भी अन्य सब्जियों से कहीं अधिक पाया जाता है। यही वजह है कि बाजार में मांग हमेशा बनी रहती है। वहीं फूलगोभी की खेती के लिए ठंडी और आद्र्र जलवायु आवश्यक होती है। ध्यान रहे कि फूलगोभी की फसल में रोग लगने की संभावना सबसे अधिक होती है।