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इस पत्ते को मत समझना मामूली जरा से खर्चे में बना देगा सूट-बूट वाला करोड़पति आज से ही शुरू करो खेती और देख लो कमाल

आज के समय में किसानों के लिए पारंपरिक खेती के साथ-साथ ऐसे विकल्प तलाशना ज़रूरी हो गया है, जिनसे कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सके। इसी क्रम में तेजपत्ता की खेती एक लाभकारी विकल्प बनकर उभर रही है। भारत में मसालों की बहुत अधिक मांग है और तेजपत्ता उनमें एक प्रमुख स्थान रखता है। इसकी मांग केवल देश में ही नहीं, बल्कि अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में भी है। ऐसे में अगर आप अपनी खेती को नया रूप देना चाहते हैं, तो तेजपत्ता की खेती आपके लिए एक शानदार अवसर हो सकती है।

यह भी पढ़िए:- ये है नोट छापने वाली सब्जी, पैदा कर करोड़पति बन रहे किसान, दो ही महीने में छप्पर फाड़ आएगा पैसा ही पैसा

तेजपत्ता की मांग और इसके लाभ

भारतीय व्यंजनों में तेजपत्ता एक महत्वपूर्ण मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। यह न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि इसके अनेक औषधीय गुण भी हैं। तेजपत्ता में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पाचन क्रिया को सुधारते हैं और पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करते हैं। यही कारण है कि देश-विदेश में इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे किसानों को इसका अच्छा मूल्य मिलता है।

कैसे करें तेजपत्ता की खेती?

तेजपत्ता की खेती करना अत्यधिक श्रमसाध्य नहीं है। हालांकि, अगर कोई किसान पहली बार इसकी खेती कर रहा है, तो शुरुआती चरण में थोड़ी सावधानी बरतनी होती है। लेकिन एक बार पौधे मज़बूत हो जाएं, तो देखरेख में बहुत कम मेहनत लगती है।

सबसे पहले ज़मीन का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। तेजपत्ता की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु अनुकूल मानी जाती है। अच्छी जल निकासी वाली रेतीली और दोमट मिट्टी में यह पौधा अच्छी तरह से बढ़ता है। जलभराव से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए खेत में पानी रुकने की समस्या नहीं होनी चाहिए।

तेजपत्ता के लिए सही समय

तेजपत्ता के पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय मानसून (जून-जुलाई) का होता है। पौधों को 5 से 6 फीट की दूरी पर लगाना चाहिए, ताकि उन्हें पर्याप्त जगह मिल सके और वे स्वस्थ रूप से विकसित हो सकें। एक बार लगाने के बाद यह पौधा सालों तक पत्तियां देता है, जिससे बार-बार रोपण की ज़रूरत नहीं होती।

तेजपत्ता की खेती में लागत भी कम आती है और मुनाफा अधिक होता है, क्योंकि यह पौधा एक बार लगने के बाद कई वर्षों तक उत्पादन देता है। इसकी पत्तियों को सुखाकर बाजार में बेचा जा सकता है, जो मसाले की दुकानों, कंपनियों और निर्यातकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

यह भी पढ़िए :- 1000 वर्ष पहले से चली आ रही इस सब्जी को खाने की प्रथा, इसकी खेती भी बना देगी करोड़ीमल

तेजपत्ता का बाज़ार और निर्यात

तेजपत्ता की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बनी रहती है। भारत में तो इसकी खपत लगभग हर रसोई में होती है, वहीं विदेशों में इसे आयुर्वेदिक उत्पादों और ऑर्गेनिक मसालों के रूप में भी काफी पसंद किया जाता है। अगर किसान चाहे तो तेजपत्ता की प्रोसेसिंग करके सीधे थोक बाजार या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भी इसे बेच सकता है। इससे उन्हें बेहतर दाम मिल सकते हैं।

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आज के समय में किसानों के लिए पारंपरिक खेती के साथ-साथ ऐसे विकल्प तलाशना ज़रूरी हो गया है, जिनसे कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सके। इसी क्रम में तेजपत्ता की खेती एक लाभकारी विकल्प बनकर उभर रही है। भारत में मसालों की बहुत अधिक मांग है और तेजपत्ता उनमें एक प्रमुख स्थान रखता है। इसकी मांग केवल देश में ही नहीं, बल्कि अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में भी है। ऐसे में अगर आप अपनी खेती को नया रूप देना चाहते हैं, तो तेजपत्ता की खेती आपके लिए एक शानदार अवसर हो सकती है।

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तेजपत्ता की मांग और इसके लाभ

भारतीय व्यंजनों में तेजपत्ता एक महत्वपूर्ण मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। यह न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि इसके अनेक औषधीय गुण भी हैं। तेजपत्ता में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पाचन क्रिया को सुधारते हैं और पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करते हैं। यही कारण है कि देश-विदेश में इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे किसानों को इसका अच्छा मूल्य मिलता है।

कैसे करें तेजपत्ता की खेती?

तेजपत्ता की खेती करना अत्यधिक श्रमसाध्य नहीं है। हालांकि, अगर कोई किसान पहली बार इसकी खेती कर रहा है, तो शुरुआती चरण में थोड़ी सावधानी बरतनी होती है। लेकिन एक बार पौधे मज़बूत हो जाएं, तो देखरेख में बहुत कम मेहनत लगती है।

सबसे पहले ज़मीन का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। तेजपत्ता की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु अनुकूल मानी जाती है। अच्छी जल निकासी वाली रेतीली और दोमट मिट्टी में यह पौधा अच्छी तरह से बढ़ता है। जलभराव से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए खेत में पानी रुकने की समस्या नहीं होनी चाहिए।

तेजपत्ता के लिए सही समय

तेजपत्ता के पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय मानसून (जून-जुलाई) का होता है। पौधों को 5 से 6 फीट की दूरी पर लगाना चाहिए, ताकि उन्हें पर्याप्त जगह मिल सके और वे स्वस्थ रूप से विकसित हो सकें। एक बार लगाने के बाद यह पौधा सालों तक पत्तियां देता है, जिससे बार-बार रोपण की ज़रूरत नहीं होती।

तेजपत्ता की खेती में लागत भी कम आती है और मुनाफा अधिक होता है, क्योंकि यह पौधा एक बार लगने के बाद कई वर्षों तक उत्पादन देता है। इसकी पत्तियों को सुखाकर बाजार में बेचा जा सकता है, जो मसाले की दुकानों, कंपनियों और निर्यातकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

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तेजपत्ता का बाज़ार और निर्यात

तेजपत्ता की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बनी रहती है। भारत में तो इसकी खपत लगभग हर रसोई में होती है, वहीं विदेशों में इसे आयुर्वेदिक उत्पादों और ऑर्गेनिक मसालों के रूप में भी काफी पसंद किया जाता है। अगर किसान चाहे तो तेजपत्ता की प्रोसेसिंग करके सीधे थोक बाजार या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भी इसे बेच सकता है। इससे उन्हें बेहतर दाम मिल सकते हैं।

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