तीन परियोजनाओं से बदलेगा बीहड़ के किसानों का भविष्य

भोपाल, मध्यप्रदेश का ग्वालियर-चंबल वह इलाका जहां पर कभी बंदूकों की गोलियों की आवाजें गूंजा करती थीं, लेकिन अब हरी भरी फसलों से लहलहाएगा। इसकी वजह है प्रदेश की शिवराज सरकार इस अंचल की तीन बड़ी परियोजनाओं पर काम किया जाना। यह तीनों ही परियोजनाएं अलग-अलग आकार वाली हैं। सरकार इन योजनाओं के जरिए इस इलाके की डेढ़ लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने की मंशा जाहिर की है। इन परियोजनाओं के लिए सिंचाई विभाग द्वारा खाका तैयार करने का काम तेजी से किया जा रहा है। खास बात यह है यह तीनों ही परियोजनाएं करोड़ों रुपए की लागत वाली हैं। इनमें पहली परियोजना श्योपुर जिले के पातालगढ़ से होकर बहने वाली पारम नदी पर शुरू की जा रही है। इसके तहत यहां पर तीन सौ करोड़ की लागत से एक बैराज बनाई जानी है। इससे पानी को चंबल कैनाल में भेजा जाएगा। इसकी वजह से अधिक तेजी से पानी टिल एंड तक भेजा जा सकेगा। इसी तरह से भिंड जिले के गोरमी में भी क्वांरी नदी पर प्रस्तावित 350 करोड़ की लागत वाली कनेरा उद्वहन सिंचाई परियोजना से 10 हजार हेक्टेयर में सिचाई का लक्ष्य तय किया गया है।

अनुमति का इंतजारा

सरकार ने भदावर सिंचाई परियोजना नाम दिया है। फिलहाल इन परियोजनाओं के लिए वित्त विभाग से अनुमति का इंतजार है। अनुमति मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसी अंचल की तीसरी सिंचाई परियोजना है सिंध नदी पर माधवराव सिंधिया के नाम पर शुरू की जा रही है। 

सबसे बड़ी परियोजना

यह तीनों में सबसे बड़ी परियोजना है। इसका निर्माण रतनगढ़ माता मंदिर के समीप किया जाएगा। इससे सवा लाख हेक्टेयर इलाके में सिंचाई होगी। यह सिंचाई भिंड और दतिया जिले के इलाकों में होगी। यह परियोजना विभाग की सबसे अधिक प्राथमिकता में शामिल है। इन तीनों परियोजनाओं से ग्वालियर चंबल अंचल का अधिकांश इलाका  हराभरा हो जाएगा।

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