शशिकान्त सिंह
जयपुर, राजस्थान, “खेत को पानी-फसल को दाम” के अंतर्गत 6 अप्रैल को जंतर मंतर नई दिल्ली पर सरसों सत्याग्रह के क्रम में 101 किसानों द्वारा किए जाने वाले उपवास के संबंध में राजस्थान के राज्यपाल माननीय कलराज मिश्र को राजभवन पहुंचकर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया । जिसमें सरसों के दाम दिलाने हेतु भारत सरकार की आयात-निर्यात नीति के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नीति को सुधारने की मांग की गई। भारत सरकार ने न्यूनतम मूल्य समर्थन योजना (एम एस पी) के अंतर्गत वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान का आगाज किया था। जिसमें सरसों सहित सभी तिलहन एवं दलहन की उपजो की खरीद कुल उत्पादन में से 25% तक ही करने, खरीद की अवधि अधिकतम 90 दिन रखने तथा एक दिन में एक किसान से 25 क्विंटल की मात्रा की खरीद करने जैसे अवरोध आरोपित किए हुए हैं। इनमें 31 अगस्त 2022 को अरहर, उड़द एवं मसूर की उपजों की खरीद 25% के स्थान पर 40% तक करने के प्रावधान किया गया। किंतु मूंग, चना एवं तिलहन की उपजों के संबंध में इस प्रकार की छुट के प्रावधान नहीं दिखे। इसी का परिणाम है कि किसानों को चना एवं सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य से एक क्विंटल पर 950 रुपये तक का घाटा उठाकर बेचना पड़ रहा है।
सरसों के दाम गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 3000 रुपये प्रति क्विंटल कम हो गया है। गत वर्ष की स्थिति में लाने के लिए पाम आयल को खाद्य तेलों की श्रेणी से हटाने एवं उस पर कम से कम 100% आयात शुल्क लगाने के संबंध में आग्रह किया गया है। ये ज्ञापन देश के किसानों की ओर से किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट द्वारा हस्ताक्षरित है। जिसे किसान महापंचायत के प्रदेश मंत्री बत्ती लाल बैरवा ने राजभवन में जाकर प्रस्तुत किया है। किसानों के शिष्टमंडल ने उपस्थित होकर उनकी पीड़ा को राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुति के लिए समय चाहा था। जिसके संबंध में राजभवन के निर्देशानुसार 28 मार्च से अब तक दो बार लिखित में आवेदन में प्रेषित किया गया था, किंतु समय नहीं दिए जाने के कारण ही आज यह ज्ञापन राजभवन में सौंपा गया जंतर मंतर नई दिल्ली पर सत्याग्रह के लिए स्थान उपलब्ध कराने के संबंध में उपायुक्त दिल्ली को भी पत्र दिया गया है। उपरोक्त जानकारी गोपाल सैनी कार्यालय सचिव किसान महापंचायत ने दिया।