गाय-भैंसों को बीमार होने से बचाएं, मई से सितम्बर जरूर करें ये काम, जानिए क्या
भोपाल। पशुपालकों के लिए जरूरी है कि उनके जानवर हमेशा स्वस्थ रहें। पशु स्वस्थ रहेंगे तो पशुपालक लाभ में रहेंगे। ऐसे में मई से लेकर सितम्बर तक का वक्त पशुपालन के लिए बहुत खास होता है। इस मौसम में गाय-भैंस को कुछ ज्यादा देखभाल की जरूरत पडती है। क्योंकि इस दौरान पशुओं पर कई बीमारियों का आक्रमण होता है। जिसके कारण दुग्ध उत्पादन में कमी हो जाती है। तापमान बढ़ते ही पशुओं में हीट स्ट्रेस की समस्या आ जाती है। यही नहीं हमारे पशु हीट स्ट्रोक का शिकार भी हो जाते हैं।
गर्मी बढने के साथ पशुओं को विशेष देखभाल की जरूरत
पशु विषेषज्ञों के अनुसार मौसम का तापमान बढने के साथ पशुओं के विशेष देखभाल करने की जरूरत पढती है, ऐसा न करने से पशुओं में दुग्ध उत्पादन कम हो सकता है और हमारे पशु बीमार भी हो सकते हैं। पशु विषेषज्ञों का कहना है कि सबसे पहले हमें पशुओं के शेड में बदलाव करते हुए कुछ इंतजाम करना जरूरी हो जाता है। साथ में पशुओं को गर्मी के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए इन बातों का ध्यान देना जरूरी होता है।
- खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव के लिए टीके लगवाएं।
- पशु को दोपहर के वक्ते सीधे तौर पर तेज धूप से बचाएं।
- पशु का दूध निकालने के बाद पशु के थन कीटाणु नाशक घोल में डुबोकर साफ करें।
- गेहूं के भूसे की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए उसमे यूरिया मिलाएं।
- डॉक्टर की सलाह पर पशु पेट के कीड़ों की दवाई खिलाएं।
- बाड़े में सीलन नहीं होनी चाहिए।
- सुबह-शाम गर्भवती और बीमार पशु को टहलाने ले जाएं।
- पशुओं का बाड़ा हवादार होना चाहिए।
- सुबह-शाम को पशु को ताजा पानी से नहला दें।
- पशुओं को साफ और ताजा पानी पिलाएं, ठंडा पानी ना दें।
- बाड़े में रेत-मिट्टी का कच्चा फर्श हो।
- दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए डाक्टर की सलाह लें।
अफरा होने पर क्या करें
यदि पशुओं को अफरा हो जाए तो 500 ग्रा. सरसों तेल के साथ 50 ग्राम तारपीन का तेल देना चाहिए। पशुओं को खिलाने के लिए हरे चारे की कमी न होने पाए इसके लिए ज्वार, मक्का, लोबिया की बुआई करें। पशु स्वस्थ रखने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए 50-60 ग्राम मिनरल मिक्चर दें।