लोकोट एक सदाबहार और उपोष्णकटिबंधीय फल है, जिसे कई जगह लुकाट या लुगाट भी कहा जाता है। इसकी खेती दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में की जाती है। बाजार में इसकी मांग सालभर बनी रहती है, क्योंकि ये सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। ये आंखों की रौशनी बढ़ाने, वजन घटाने और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में भी मदद करता है।
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मिट्टी और खेत की तैयारी
लोकोट की खेती के लिए बलुई-दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जैविक तत्व भरपूर हों। खेती शुरू करने से पहले खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी और समतल हो जाए। इससे पौधे की जड़ें अच्छी तरह फैलती हैं और उत्पादन बेहतर होता है।
किस्में और बुवाई का सही समय
इसकी खेती के लिए किसान भाई बेहतर किस्मों का चयन करें। शुरुआती किस्मों में Pale Yellow, Golden Yellow और Better Golden Yellow लोकप्रिय हैं। वहीं मध्य अवधि की किस्मों में Vishal, Safeda और Fire Ball शामिल हैं। जून से सितंबर का समय रोपाई के लिए सबसे बढ़िया रहता है। पौधों के बीच 6 से 7 मीटर की दूरी रखें और 1 मीटर गहराई तक गड्ढे करें।
सिंचाई कटाई और उत्पादन
मानसून के कारण जून में ज्यादा सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती। लेकिन फल तोड़ने के समय 3 से 4 बार सिंचाई करें। पौधा 3 साल बाद फल देना शुरू कर देता है और 15वें साल तक भरपूर उत्पादन देता है। एक एकड़ में लगभग 7 से 10 क्विंटल तक पैदावार हो जाती है।