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गंभीर बीमारियों की बाप कमाई में नंबर वन इस फल की खेती, इस किसान ने कर दिया कमाल

पारंपरिक खेती का पीछा छोड़ अब कई किसान नए जमाने के फल और सब्जी उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं। बिहार के सोनपुर क्षेत्र के किसान उमेश शर्मा ने भी अपनी किस्मत आजमा ही ली। पहले वे धान और गेहूं जैसे पारंपरिक फसलो को उत्पादन करते थे, लेकिन अब पपीते की खेती से सालाना 5 से 6 लाख रुपये कमा रहे हैं, और वो भी सिर्फ थोड़ी जमीन से जाने आपको पूरी बात विस्तार से बताते है.

जिंदगी भर जवानी का जोश बना रहेगा ताबड़तोड़ दिल दिमाग और पैसा भी रहेगा बरक़रार कर डालो आज से ही इस फल की खेती

पपीता की खेती में कम लागत

उमेश शर्मा का कहना है कि पपीता की बाजार में साल भर डिमांड बनी रहती है। यही वजह है कि उन्हें अपने फल बेचने में कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। पपीता 15 रुपए से 20 रूपये प्रति किलो की दर से आसानी से मार्केट में सेल हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे कृषि विज्ञान केंद्र से एक पौधा 10 रूपये में खरीदते हैं। एक एकड़ में पपीते की खेती से उन्हें सालाना 5 से 6 लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है.

सबसे खास बात यह है कि पपीते का पौधा एक बार लगाने के बाद दो साल तक उत्पादन देता है। यानी दो साल में लगभग 12 लाख रुपये की कमाई की जा सकती है। इस खेती में मेहनत भी कम लगती है और आसानी भी होती है.

कहां से मिली जानकारी और ट्रेनिंग

पपीता की खेती शुरू करने से पहले उमेश शर्मा ने खेती से ट्रेनिंग लिया। उनके गांव में ही कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से एक 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया था। उन्होंने इसमें भाग लिया और वहीं से पपीते की खेती की टेक्नोलॉजी को सीखा।

प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बताया गया कि किस तरह मिट्टी की जांच करें, पौधों की दूरी कितनी रखें, पानी और खाद कैसे दें, और रोग नियंत्रण कैसे करें। इस पूरी जानकारी से उत्सुक होकर उमेश ने पपीते की खेती शुरू की।

रेड लेडी पपीता की उन्नत किस्म

उमेश शर्मा ने जिस पपीता किस्म को चयनित किया था उसका नाम है ‘रेड लेडी’। यह हाईब्रिड किस्म है और कम समय में ज्यादा उतपादन देती है। रेड लेडी पपीते का वजन 1 से 1.5 किलो तक होता है और इसका रंग गहरा नारंगी होता है, जो ग्राहकों को बहुत भाता है। इसी कारण बाजार में इसकी अच्छी डिमांड मिलती है।

यह किस्म बीमारियों के प्रति भी अधिक प्रतिरोधक है और फलों की गुणवत्ता बेहतर होती है। किसान अगर इस किस्म को वैज्ञानिक विधि से उगाएं, तो उन्हें भी उमेश शर्मा जैसी सफलता मिल सकती है।

गंभीर बीमारियों की बाप कमाई में नंबर वन इस फल की खेती, इस किसान ने कर दिया कमाल

पारंपरिक खेती का पीछा छोड़ अब कई किसान नए जमाने के फल और सब्जी उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं। बिहार के सोनपुर क्षेत्र के किसान उमेश शर्मा ने भी अपनी किस्मत आजमा ही ली। पहले वे धान और गेहूं जैसे पारंपरिक फसलो को उत्पादन करते थे, लेकिन अब पपीते की खेती से सालाना 5 से 6 लाख रुपये कमा रहे हैं, और वो भी सिर्फ थोड़ी जमीन से जाने आपको पूरी बात विस्तार से बताते है.

जिंदगी भर जवानी का जोश बना रहेगा ताबड़तोड़ दिल दिमाग और पैसा भी रहेगा बरक़रार कर डालो आज से ही इस फल की खेती

पपीता की खेती में कम लागत

उमेश शर्मा का कहना है कि पपीता की बाजार में साल भर डिमांड बनी रहती है। यही वजह है कि उन्हें अपने फल बेचने में कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। पपीता 15 रुपए से 20 रूपये प्रति किलो की दर से आसानी से मार्केट में सेल हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे कृषि विज्ञान केंद्र से एक पौधा 10 रूपये में खरीदते हैं। एक एकड़ में पपीते की खेती से उन्हें सालाना 5 से 6 लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है.

सबसे खास बात यह है कि पपीते का पौधा एक बार लगाने के बाद दो साल तक उत्पादन देता है। यानी दो साल में लगभग 12 लाख रुपये की कमाई की जा सकती है। इस खेती में मेहनत भी कम लगती है और आसानी भी होती है.

कहां से मिली जानकारी और ट्रेनिंग

पपीता की खेती शुरू करने से पहले उमेश शर्मा ने खेती से ट्रेनिंग लिया। उनके गांव में ही कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से एक 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया था। उन्होंने इसमें भाग लिया और वहीं से पपीते की खेती की टेक्नोलॉजी को सीखा।

प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बताया गया कि किस तरह मिट्टी की जांच करें, पौधों की दूरी कितनी रखें, पानी और खाद कैसे दें, और रोग नियंत्रण कैसे करें। इस पूरी जानकारी से उत्सुक होकर उमेश ने पपीते की खेती शुरू की।

रेड लेडी पपीता की उन्नत किस्म

उमेश शर्मा ने जिस पपीता किस्म को चयनित किया था उसका नाम है ‘रेड लेडी’। यह हाईब्रिड किस्म है और कम समय में ज्यादा उतपादन देती है। रेड लेडी पपीते का वजन 1 से 1.5 किलो तक होता है और इसका रंग गहरा नारंगी होता है, जो ग्राहकों को बहुत भाता है। इसी कारण बाजार में इसकी अच्छी डिमांड मिलती है।

यह किस्म बीमारियों के प्रति भी अधिक प्रतिरोधक है और फलों की गुणवत्ता बेहतर होती है। किसान अगर इस किस्म को वैज्ञानिक विधि से उगाएं, तो उन्हें भी उमेश शर्मा जैसी सफलता मिल सकती है।

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