96 प्रतिशत ई-टोकन वितरण के साथ बना ‘रोल मॉडल’
शाजापुर जिले की टीम ने आकर समझी कार्यप्रणाली
विदिशा। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘ई-टोकन व्यवस्था https://etoken.mpkrishi.org के क्रियान्वयन में विदिशा जिले ने कलेक्टर श्री अंशुल गुप्ता के कुशल नेतृत्व और सटीक मार्गदर्शन में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। जिले में 96 प्रतिशत खाद का वितरण ई-टोकन के माध्यम से सुनिश्चित कर प्रशासन ने एक नई नजीर पेश की है। जिसे अब अन्य जिले भी अपनाने लगे हैं।
जमीनी स्तर पर निकाला हल
विदिशा, शाजापुर और जबलपुर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हुई इस योजना की राह शुरू में आसान नहीं थी। एग्रीस्टैक पोर्टल पर हजारों किसानों की फार्मर आईडी और रकवे (जमीन) की जानकारी अपडेट नहीं होने के कारण टोकन व्यवस्था लड़खड़ा सकती थी।लेकिन, विदिशा कलेक्टर ने स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए इसे व्यक्तिगत निगरानी में लिया। उन्होंने तुरंत जिले के सभी तहसीलदारों और पटवारियों को सख्त निर्देशित किया कि यह कार्य मिशन मोड में किया जाए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी किसान को खाद मिलने में तकनीकी बाधा नहीं आनी चाहिए और जल्द से जल्द हर किसान का डेटा और रकबा पोर्टल पर अपडेट किया जाए। कलेक्टर गुप्ता के इन त्वरित निर्णयों और मैदानी अमले पर उनकी पकड़ का ही नतीजा है कि बहुत कम समय में डेटा अपडेट हुआ और आज जिला पूरे प्रदेश में अग्रणी भूमिका में है।
‘सफल मॉडल’ को समझने पहुंची शाजापुर की टीम
विदिशा जिला प्रशासन द्वारा स्थापित इस ‘सफल मॉडल’ की चर्चा अब पड़ोसी जिलों में भी है। कलेक्टर के निर्देशन में जिला सहकारी बैंक और समितियों ने जिस समन्वय से काम किया, उसे समझने के लिए आज शाजापुर जिले का एक उच्च स्तरीय दल विदिशा पहुंचा।
शाजापुर से आए डीआर ,उप संचालक कृषि और जिला सहकारी बैंक के प्रतिनिधियों ने विदिशा जिला सहकारी बैंक का दौरा किया। उन्होंने संपूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से समझा है। कैसे प्रशासन ने कम समय में डेटा अपडेशन की चुनौती को पार किया? सहकारी समितियां पोर्टल पर इतनी सुगमता से कार्य कैसे कर रही हैं? शाजापुर की टीम ने विदिशा के प्रशासनिक मॉडल की सराहना की और इसे अपने जिले में लागू करने के लिए महत्वपूर्ण इनपुट्स लिए।
नवीन व्यवस्था किसानों के लिए वरदान
किसानों के लिए वरदान सावित हुई नवीन व्यवस्था कलेक्टर गुप्ता की संवेदनशीलता के कारण आज विदिशा का किसान घंटों लाइनों में लगने के बजाय सम्मान के साथ ई-टोकन के माध्यम से खाद प्राप्त कर रहा है। यह सफलता प्रशासनिक इच्छाशक्ति और सही नेतृत्व का परिणाम है।




