पांच सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
स्थान लालटिपारा प्लांट (चालू)
क्षमता 65 एमएलडी वाटर
लागत 55 करोड़ रुपए
फिल्टर 40 से 45 एमएलडी पानी प्रतिदिन
स्थान जलालपुर प्लांट (चालू)
क्षमता 145 एमएलडी वाटर
लागत 100 करोड़ रुपए
फिल्टर 80 एमएलडी पानी प्रतिदिन
स्थान जलविहार प्लांट (चालू)
क्षमता 1 एमएलडी वाटर
लागत 1.5 करोड़ रुपए
स्थान ललियापुरा (निर्माणाधीन)
क्षमता 4 एमएलडी
लागत 3.5 करोड़
स्थान शताब्दीपुरम (निर्माणाधीन)
क्षमता 8 एमएलडी
लागत 6 करोड़
दिव्या मिश्रा
ग्वालियर, ग्वालियर प्रदेश का एक मात्र ऐसा शहर बन गया है जो शहर से निकले सीवर व नालों के पानी को साफ कर उसका उपयोग हरियाली सहित अन्य कार्यों में कर रहा है। सीवेज के पानी को साफ करने के लिए शहर में एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाए हैं, जिनसे साफ हुआ पानी शहर को हराभरा करने में मददगार साबित हो रहा है।
सीवेज के फिल्टर पानी से पार्कों में पौधों की सिंचाई की जा रही है। इधर, जलालपुर व लालटिपारा पर बनाए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से पानी को साफ कर उसे मुरार व स्वर्णरेखा नदी में छोड़ा जा रहा है। इस पानी को किसान अपनी खेती के उपयोग में ले रहे हैं। अमृत योजना के तहत शहर में पांच स्थानों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं। इनमें तीन प्लांट शुरू हो चुके हैं, जबकि दो निर्माणाधीन हैं। जलालपुर स्थित स्वर्णरेखा नदी पर 145 एमएलडी का प्लांट लगाया गया है, जबकि लालटिपारा स्थित मुरार नदी पर 65 एमएलडी का प्लांट बनाया है।
यहां पर सीवेज और नालों में बहकर आ रहे पानी को साफ कर उन्हें नदियों में छोड़ा जा रहा है। इस पानी का उपयोग किसान खेती के लिए कर रहे हैं। साथ ही जल संसाधन विभाग भी नहरों के माध्यम से इस पानी को कई गांवों को दे रहा है। इधर, लालटिपारा स्थित प्लांट से निकला साफ पानी बहकर गोहद के बांध में पहुंच रहा है, जिससे पूरे क्षेत्र का जलस्तर बढ़ रहा है। इस पानी का उपयोग खेती में भी किया जा रहा है।
इन गांवों में पहुंच रहा पानी
जलालपुर स्थित एसटीपी प्लांट से जलालपुर, अकबरपुर, जमाहर, महू आदि गांवों में खेती के लिए पानी का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही लालटिपारा स्थित 65 एमएलडी के प्लांट से जडेरूआ सहित अन्य गांवों को पानी दिया जा रहा है। जल संसाधन विभाग से निगम ने करार किया है कि सीवेज पानी को साफ कर उसे विभाग को सिंचाई के लिए देगा। इसके बदले में जल संसाधन विभाग नगर निगम को पेयजल मुफ्त देगा।
निर्माण कार्यों में होगा उपयोग
सीवेज के पानी का उपयोग जल्द ही शहर में होने वाले निर्माण कार्यों में भी किया जाएगा। इसके लिए निगम एसटीपी के साफ पानी को बेचेगा। इस पानी को टैंकरों के माध्यम से निर्माण स्थलों पर पहुंचाया जाएगा। फिलहाल इसकी योजना बनाई जा रही है।
सड़कें भी चमचमा रहीं
शहर से धूल-मिट्टी को कम करने के लिए तीन रोड सीपिंग मशीनें कार्य कर रही हैं। इस मशीनों में भी सीवेज के साफ पानी का उपयोग किया जाता है। इसी पानी से शहरभर की सड़कें साफ की जा रही हैं।
बैजाताल पर चलाई बोट
मोतीमहल स्थित बैजाताल में भी जलविहार स्थित प्लांट से सीवेज के साफ पानी को भरा गया है। इस पानी में बोट चलाकर नगर निगम 3 लाख 75 हजार कमा चुका है। साथ ही बैजाताल पर भी पर्यटक काफी संख्या में आने लगे हैं। यहां फव्वारे भी सीवेज के पानी से चलाए जा रहे हैं।
इनका कहना है
सीवर ट्रीटमेंट प्लांटों से फिल्टर पानी की गुणवत्ता अच्छी है। हालांकि यह पानी पीने योग्य नहीं है, लेकिन इसका उपयोग खेती व अन्य कार्यों में किया जा रहा है। संभवत ग्वालियर प्रदेश का ऐसा पहला शहर है जो सीवेज पानी का पूरी तरह से उपयोग खेती व अन्य कार्यों में कर रहा है।
शिवम वर्मा, निगमायुक्त, ग्वालियर