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नियमित प्राणायाम देता है कोरोना से बचाव की पूरी गारंटी

भोपाल। भारत मे योग हजारों वर्षों से चल रहा है। आज पूरी दुनिया हमारे योग का लोहा मैन रही। विशेषज्ञों का दावा है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और तन को स्वस्थ रखने में मददगार प्राणायाम के कुम्भक से कोरोना संक्रमण न सिर्फ बचाव में सहायक है बल्कि कुछ हद तक इस बीमारी से निजात भी पायी जा सकती है।

योग विशेषज्ञ पंडित शरद द्विवेदी का कहना है कि निरोगी काया के लिए योग ब्रम्हास्त्र का काम करता है। सूक्ष्म विषाणु कोरोना के इलाज के लिए यूं तो दुनिया भर में वैक्सीन खोजने का काम जारी है लेकिन योग भी एक हद तक कोरोना संक्रमण से बचाव और इलाज में कारगर सिद्ध हो सकता है।

उन्होने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति दूसरों से दूरी बनाए रखते हुए यदि अनुशासनबद्ध होकर प्राणायाम के कुम्भक का अभ्यास करे तो उसे कोरोना से मुक्ति पाने में मदद मिल सकती है। उन्होने कहा, ‘हमारे फेफड़ों में आमतौर पर हर श्वांस लेने पर आधा लीटर वायु भीतर जाती है जबकि हमारे फेफड़ों की श्वांस ग्रहण की क्षमता आठ से बारह गुणा अधिक है इसे टोटल लंग कैपासिटी यानी टीएलसी कहते हैं।

योगी ने बताया, ‘जब हम प्राणायाम करते है तो प्रत्एक धीमी एवं गहरी श्वास लेने से चार से पांच गुणा अधिक श्वास हमारे फेफड़ों मे पहुँचती है और टीएलसी बेहतर होने लगती है जबकि फेफड़ों का आयतन फैल जाता है।

कोविड 19 सीधा फेफड़ों पर हमला करता है। इससे बचने के लिए फेफड़ों का सेहतमंद होना बेहद आवश्यक है। इसी पर हमारी इम्यूनिटी निर्भर होती है।

श्वसन तंत्र में नाक, गला, स्वर यंत्र, ट्रेकिया और फेफडो को रेस्पिरेटरी सिस्टम या श्वसन तंत्र कहते है। कोरोना का अटैक इसी पर सबसे अधिक होता है?।

नियमित प्राणायाम देता है कोरोना से बचाव की पूरी गारंटी

भोपाल। भारत मे योग हजारों वर्षों से चल रहा है। आज पूरी दुनिया हमारे योग का लोहा मैन रही। विशेषज्ञों का दावा है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और तन को स्वस्थ रखने में मददगार प्राणायाम के कुम्भक से कोरोना संक्रमण न सिर्फ बचाव में सहायक है बल्कि कुछ हद तक इस बीमारी से निजात भी पायी जा सकती है।

योग विशेषज्ञ पंडित शरद द्विवेदी का कहना है कि निरोगी काया के लिए योग ब्रम्हास्त्र का काम करता है। सूक्ष्म विषाणु कोरोना के इलाज के लिए यूं तो दुनिया भर में वैक्सीन खोजने का काम जारी है लेकिन योग भी एक हद तक कोरोना संक्रमण से बचाव और इलाज में कारगर सिद्ध हो सकता है।

उन्होने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति दूसरों से दूरी बनाए रखते हुए यदि अनुशासनबद्ध होकर प्राणायाम के कुम्भक का अभ्यास करे तो उसे कोरोना से मुक्ति पाने में मदद मिल सकती है। उन्होने कहा, ‘हमारे फेफड़ों में आमतौर पर हर श्वांस लेने पर आधा लीटर वायु भीतर जाती है जबकि हमारे फेफड़ों की श्वांस ग्रहण की क्षमता आठ से बारह गुणा अधिक है इसे टोटल लंग कैपासिटी यानी टीएलसी कहते हैं।

योगी ने बताया, ‘जब हम प्राणायाम करते है तो प्रत्एक धीमी एवं गहरी श्वास लेने से चार से पांच गुणा अधिक श्वास हमारे फेफड़ों मे पहुँचती है और टीएलसी बेहतर होने लगती है जबकि फेफड़ों का आयतन फैल जाता है।

कोविड 19 सीधा फेफड़ों पर हमला करता है। इससे बचने के लिए फेफड़ों का सेहतमंद होना बेहद आवश्यक है। इसी पर हमारी इम्यूनिटी निर्भर होती है।

श्वसन तंत्र में नाक, गला, स्वर यंत्र, ट्रेकिया और फेफडो को रेस्पिरेटरी सिस्टम या श्वसन तंत्र कहते है। कोरोना का अटैक इसी पर सबसे अधिक होता है?।

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