brijesh parmar
उज्जैन, क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं का रकबा बढ़ा है। कहा जा रहा था कि इस बार बंपर उत्पादन होगा, लेकिन नहीं हुआ। 12 हजार हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में बोवनी के बाद भी उत्पादन पिछले वर्ष से कम हुआ है। पिछले वर्ष 4 लाख हेक्टेयर में बोवनी की गई थी। उत्पादन 21 लाख मेट्रिक टन हुआ था। इस वर्ष 4 लाख 12 हजार हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था। उत्पादन 16 लाख मेट्रिक टन ही रहा। इससे किसानों में निराशा है। जिले में रबी सीजन में बोवनी के कुल रकबे में 75 फीसद क्षेत्र में गेहूं का उत्पादन किया जाता है।
इस बार चार लाख 12 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बोवनी की गई है। जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 12 हजार हेक्टेयर अधिक है। अच्छी बारिश होने से संभावना जताई जा रही थी कि बंपर उत्पादन होगा। फसल अच्छी देख किसान भी खुश थे। फसल पकी तो गेहूं का उत्पादन 15 से 20 फीसद कम पाया गया। सरकार भले ही आंकड़ों में गेहूं का उत्पादन अधिक बताए, हकीकत यह है कि 12 क्विंटल प्रति बीघा उत्पादन होने वाला गेहूं इस बार 8 क्विंटल बीघा पर रह गया है। इससे किसानों को निराशा है।
भाव नहीं मिल रहे
गौरतलब है कि गेहूं की चमक के लिए भी ठंड का गिरना जरूरी है लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। वर्तमान में मंडियों में बिकी के लिए आ रहा गेहूं क्वालिटी में काफी कमजोर है। चमक नहीं होने से तथा गेहूं के दानों में काली टिपकी आ जाने से किसानों को भाव नहीं मिल पा रहा है। कारोबारियों को भी देसावर में व्यापार करने में परेशानी आ रही है।
इनका कहना है
इस बार बंपर उत्पादन की संभावना थी लेकिन मौसम ने साथ नहीं दिया। जब गेहूं सवा से डेढ़ माह का था, उस समय ठंडे मौसम की जरूरत थी, लेकिन मौसम ठंडा नहीं हो पाया। जब पकने की तैयारी आई तो फरवरी माह में ठंडा हो गया, नतीजा गेहूं का उत्पादन प्रभावित हो गया।
आरपी शर्मा, कृषि वैज्ञानिक
20 बीघा जमीन में 240 क्विंटल गेहूं पैदावार होने की संभावना थी जो कि घटकर 160 क्विंटल रह गया। इसी तरह कीटिया निवासी गोविंद सिंह के यहां 12 क्विंटल प्रति बीघा की जगह आठ से 9 क्विंटल बीघा उत्पादन हुआ है।
रामसिंह आंजना, किसान, ग्राम चिकली