पशुधन
मप्र की राजकीय मछली: संरक्षण और संवर्धन के प्रयास
महेंद्र सिंहडॉ माधुरी शर्माडॉ राजेश चौधरीडॉ उत्तम कुमार सरकारमत्स्य विज्ञान महाविद्यालय, नादेपचिविवि, जबलपुर, मध्य प्रदेशमध्य प्रदेश मत्स्य महासंघ, भोपालआईसीएआर-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ, ...
लम्पी स्किन- गांठदार त्वचा रोग -निवारण एवं उपचार
डॉ सौरभ शर्मा, डॉ रूचि सिंह, डॉ हरी आर, डॉ रश्मि विश्वकर्मा, डॉ प्रतीक्षा ठाकुर पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यलाय जबलपुर परिचयलम्पी स्किन रोग वायरस (LSDV) ...
पशुओं के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण खनिज
डॉ. ज्योत्सना शक्करपुडे, डॉ. मनोज कुमार अहिरवार डॉ. अर्चना जैन, डॉ. कविता रावतडॉ. दीपिका डायना जेस्सी ए., डॉ. रंजीत आइच, डॉ. श्वेता राजोरिया, डॉ. आम्रपाली भिमटे ...
ठंड के मौसम में बकरी के बच्चों की कैसे करें देखभाल, जानिए क्या कहते हैं पशु वैज्ञानिक
बकरी पालन में असल मुनाफा बकरी के बच्चों से होता है। सालभर जितने बच्चे मिलेंगे उतना ही मोटा मुनाफा होगा। ये बकरी पालन में मुनाफे की बुनियाद भी होते हैं। लेकिन बकरी के बच्चे मुनाफे में तब बदलते हैं जब उनकी मृत्यु दर को कम या फिर पूरी तरह से कंट्रोल किया जाए। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट की मानें तो मृत्यु दर कम करने की तैयारी बकरी के गर्भधारण से ही शुरू हो जाती है।
भारतीय और विदेशी गोवंश की उन्नत नश्लें, जानिए इनकी क्या है विशेषता
भारत में प्राचीन काल से ही पशुपालन व्यवसाय के रुप मे प्रचलित रहा है। भारत में 70फीसदी आबादी ग्रामीण है। 20वीं पशुधन गणना के अनुसार देश में कुल पशुधन आबादी 53578 मिलियन है, जो 2012 की तुलना मे 4.6 प्रतिशत अधिक है।
पशुओं में ब्रूसेल्लोसिस रोग, कारण और निदान
समस्त पालतु पशु ब्रूसेल्लोसिस रोग के प्रति संवेदनशील होते हैं। गाय, भैंस, भेड़, बकरी एवं शूकरों में इस रोग का प्रकोप अत्यधिक होता है। ब्रूसेल्लोसिस रोग पशुओं से मनुष्य में फैलता है। अतः इस रोग का जन स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है। मनुष्य में यह रोग अंडूलेंट ज्वर, माल्टा ज्वर तथा बैंग्स ज्वर के नाम से जाना जाता है। इस रोग से गौवंश में ग्याभिन पशु अधिकांशतः 6- 9 माह एवं भेड़-बकरी में 3-5 माह में गर्भपात हो जाता है।
गाय एवं भैंसों में पटार का संक्रमण एवं समाधान
डॉ. शुभ्रदल नाथ, डॉ. गिरिधारी दास, डॉ. सुमन कुमार, डॉ. रुपेश वर्मा, डॉ. संजू मंडल, डॉ. हरि आर तिवारी, डॉ. अजय राय, डॉ. विक्रम ...
मधुमक्खी पालन से किसानों को होगा डबल फायदा, जानिए कैसे ?
हमारे जीवन में मधु अर्थात शहद का बडा महत्व है। शहद मधुमक्खियों से प्राप्त होता है। कुछ कीट ऐसे होते हैं जो फसलों को हानि पहुंचाते हैं और उनसे फसलों का बचाव ज़रूरी है, मगर कुछ कीट ऐसे हैं जो फसलों की वृद्धि और अच्छी गुणवत्ता के लिए ज़रूरी है। ऐसे कीटों में तितली और मधुमक्खी आदि शामिल है। ये परागण का निर्माण करते हैं।
बकरी पालन किसानों के लिए फायदेमंद, सरकार दे रही 40 से 60% तक अनुदान
मध्य प्रदेश शासन द्वारा बैंक ऋण एवं अनुदान पर बकरी इकाई योजना संचालित है। इसमें हितग्राही को 10 बकरी और एक बकरा दिया जाता है। इकाई की लागत 77 हजार 456 रूपये है। सामान्य वर्ग के हितग्राही को इकाई लागत का 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति-जनजाति को इकाई लागत का 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
पशुओं में मुँहपका और खुरपका टीकाकरण के द्वितीय चरण में भी मप्र देश में आगे
पशुओं में मुँहपका और खुरपका (फूट माउथ डिसीज़) टीकाकरण के द्वितीय चरण में भी मध्यप्रदेश देश में सर्वप्रथम है। प्रदेश ने निर्धारित अवधि से पूर्व 15 फरवरी 2023 को 2 करोड़ 7 लाख 68 हजार गौ-भैंस वंशीय पशुओं का टीकाकरण पूर्ण कर लिया, जो देश में सर्वाधिक है।