होम किसानों के अनुभव कृषि यंत्र कृषि योजनाएं खेती किसानी पंचायत की योजनाएं पशुधन
मेन्यू
Jagatgaon Logo
Home Videos Web Stories
E Paper
पंचायत की योजनाएं खेती किसानी कृषि योजनाएं कृषि यंत्र किसानों के अनुभव पशुधन मप्र/छत्तीसगढ़ वैज्ञानिकों के विचार सक्सेस स्टोरी लाइफस्टाइल

दूसरों की सुनना छोड़ो और करिए इस कमाऊ फसल की खेती, एक एकड़ में होगा लाखों का मुनाफा, बन जाओगे धनी

आज के समय में जब किसान महंगी लागत और कम मुनाफे से परेशान हैं, ऐसे में मडुआ की खेती (Madua Farming) उनके लिए एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रही है। खासकर खरीफ के मौसम में जब किसान सामान्य रूप से धान की खेती करते हैं, उस समय मडुआ एक लाभकारी विकल्प हो सकता है।

यह भी पढ़िए :- इस ड्राईफ्रूट के सामने बादाम काजू भी फेल, सेहत के लिए रामबाण, किसानों के लिए वरदान

मडुआ क्या है और इसकी खेती क्यों करें?

मडुआ, जिसे रागी या फिंगर मिलेट (Finger Millet) भी कहा जाता है, एक मोटा अनाज है जो पोषण से भरपूर होता है। यह शरीर को ताकत देता है और बाजार में इसकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है। मडुआ की खेती खासकर उन क्षेत्रों में सफल होती है जहाँ बारिश की मात्रा सामान्य होती है।

मडुआ की बुवाई

मडुआ की बुवाई का सही समय जून के आखिरी सप्ताह से लेकर जुलाई के मध्य तक होता है, जब मानसून की बारिश प्रारंभ हो जाती है। इसकी बुवाई सीधे खेत में की जा सकती है। मडुआ के बीज किसी भी सरकारी या निजी बीज भंडार से आसानी से मिल जाते हैं।

एक बार बीज बोने के बाद खेत की हल्की सिंचाई करना आवश्यक होता है। मडुआ की फसल को तैयार होने में लगभग 115 से 120 दिन लगते हैं।

लागत और मुनाफा

मडुआ की खेती में लागत अपेक्षाकृत कम आती है। एक एकड़ खेत में मडुआ की खेती करने पर लगभग ₹60,000 से ₹70,000 तक का खर्च आता है। यह खर्च एक बार का होता है, क्योंकि खेत को तैयार करने, बीज खरीदने और सिंचाई जैसे काम प्रारंभ में ही होते हैं।

अगर बात करें मुनाफे की, तो एक एकड़ मडुआ की खेती से प्रति माह ₹50,000 से ₹60,000 तक का लाभ संभव है। यानी किसान कुल लागत का दो गुना तक कमा सकते हैं। साथ ही, मडुआ की बाजार में कीमत लगभग ₹100 प्रति किलो है, जिससे इसका व्यवसायिक लाभ और भी बढ़ जाता है।

यह भी पढ़िए :- बैगन की खेती करने जा रहे ? तो जानिये ज्यादा उपज देने वाली किस्में और नर्सरी तैयार करने का तरीका

मडुआ की मांग

बाजार में अब मडुआ की माँग तेजी से बढ़ रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में जहाँ लोग हेल्दी डाइट की ओर बढ़ रहे हैं। इसके आटे से रोटियाँ, उपमा, डोसा आदि स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन बनाए जाते हैं। सरकार भी मोटे अनाजों को बढ़ावा दे रही है, जिससे मडुआ की खेती में भविष्य की बड़ी संभावनाएँ हैं।

दूसरों की सुनना छोड़ो और करिए इस कमाऊ फसल की खेती, एक एकड़ में होगा लाखों का मुनाफा, बन जाओगे धनी

आज के समय में जब किसान महंगी लागत और कम मुनाफे से परेशान हैं, ऐसे में मडुआ की खेती (Madua Farming) उनके लिए एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रही है। खासकर खरीफ के मौसम में जब किसान सामान्य रूप से धान की खेती करते हैं, उस समय मडुआ एक लाभकारी विकल्प हो सकता है।

यह भी पढ़िए :- इस ड्राईफ्रूट के सामने बादाम काजू भी फेल, सेहत के लिए रामबाण, किसानों के लिए वरदान

मडुआ क्या है और इसकी खेती क्यों करें?

मडुआ, जिसे रागी या फिंगर मिलेट (Finger Millet) भी कहा जाता है, एक मोटा अनाज है जो पोषण से भरपूर होता है। यह शरीर को ताकत देता है और बाजार में इसकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है। मडुआ की खेती खासकर उन क्षेत्रों में सफल होती है जहाँ बारिश की मात्रा सामान्य होती है।

मडुआ की बुवाई

मडुआ की बुवाई का सही समय जून के आखिरी सप्ताह से लेकर जुलाई के मध्य तक होता है, जब मानसून की बारिश प्रारंभ हो जाती है। इसकी बुवाई सीधे खेत में की जा सकती है। मडुआ के बीज किसी भी सरकारी या निजी बीज भंडार से आसानी से मिल जाते हैं।

एक बार बीज बोने के बाद खेत की हल्की सिंचाई करना आवश्यक होता है। मडुआ की फसल को तैयार होने में लगभग 115 से 120 दिन लगते हैं।

लागत और मुनाफा

मडुआ की खेती में लागत अपेक्षाकृत कम आती है। एक एकड़ खेत में मडुआ की खेती करने पर लगभग ₹60,000 से ₹70,000 तक का खर्च आता है। यह खर्च एक बार का होता है, क्योंकि खेत को तैयार करने, बीज खरीदने और सिंचाई जैसे काम प्रारंभ में ही होते हैं।

अगर बात करें मुनाफे की, तो एक एकड़ मडुआ की खेती से प्रति माह ₹50,000 से ₹60,000 तक का लाभ संभव है। यानी किसान कुल लागत का दो गुना तक कमा सकते हैं। साथ ही, मडुआ की बाजार में कीमत लगभग ₹100 प्रति किलो है, जिससे इसका व्यवसायिक लाभ और भी बढ़ जाता है।

यह भी पढ़िए :- बैगन की खेती करने जा रहे ? तो जानिये ज्यादा उपज देने वाली किस्में और नर्सरी तैयार करने का तरीका

मडुआ की मांग

बाजार में अब मडुआ की माँग तेजी से बढ़ रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में जहाँ लोग हेल्दी डाइट की ओर बढ़ रहे हैं। इसके आटे से रोटियाँ, उपमा, डोसा आदि स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन बनाए जाते हैं। सरकार भी मोटे अनाजों को बढ़ावा दे रही है, जिससे मडुआ की खेती में भविष्य की बड़ी संभावनाएँ हैं।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment