चौरई के ओपन कैम्प में दो साल से रखा था गेहूं
dayanand chorasia
छिंदवाड़ा। साल 2020 में सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से 1925 रुपए के समर्थन मूल्य पर खरीदा गया करीब 14 हजार मीट्रिक टन गेहूं सही रखरखाव न होने से सड़ गया। दरअसल, सरकार द्वारा किसानों से खरीदे गए 48 हजार मीट्रिक टन गेहूं का भंडारण चौरई के चंदन वाड़ा में ओपन कैंप में किया गया था। इसकी देखरेख की पूरी जवाबदारी मार्कफेड को दी गई थी, लेकिन गौर किया जाए तो मार्कफेड के जिम्मेदार अधिकारियों ने गेहूं के भंडारण में व्यापक पैमाने पर लापरवाही की। लापरवाही के चलते यहां 47 हजार मीट्रिक टन गेहूं में से करीब 14 हजार मीट्रिक टन गेहूं बारिश के पानी से बचाव न होने के कारण सड़ गया। यहां रखे बोरों में से गेहूं के दाने उग आए हैं। वहीं, कुछ बुरे ऐसे भी है, जिसमें भरा गेहूं काला हो गया है। यह अनाज बदबू मारने लगा है। अनुमान के मुताबिक सड़े हुए गेहूं की कीमत करीब 27 करोड़ रुपए आंकी जा रही है।
सेमिग्रेशन के आदेश
करोड़ों का अनाज सड़ जाने के बाद अब अधिकारी लापरवाही पर लीपापोती कर रहे हैं। अधिकारी द्वारा सड़े गेहूं के सेमिग्रेशन का आदेश देकर टीम भी बनाई जा रही है। अब यह अनाज किसी भी रूप में इंसानों के खाने योग्य नहीं बचा है।
साजिश की बू
कहा जा रहा है कि अधिकारियों द्वारा शराब फैक्ट्रियों को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर हर वर्ष इसी तरह से अनाज को सड़ाया जाता है। यहां तक की गोदामों के खाली रहने के बावजूद भी इस अनाज को वहां पर शिफ्ट नहीं किया गया।