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KVK बैतूल ने सोयाबीन की फसल पर ड्रोन से किया दवा का छिड़काव

satish sahu
बैतूल, खेती को लाभकारी और उन्नत बनाने के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिक लगातार प्रयास में लगे हैं। वैज्ञानिकों का प्रयास है कि कम लागत और कम समय में अच्छी उपज कैसे लिया जाए। इसी कडी में कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल द्वारा पहली बार ड्रोन से स्प्रे का प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम के दौरान केंद्र प्रमुख डॉ. वीके वर्मा, आरडी बारपेटे और डॉ. मेधा दुबे उपस्थित थीं। चेन्नई से आए गरुड़ एअरोस्पेस लिमिटेड के ड्रोन एक्सपर्ट ने इस दौरान ड्रोन उड़ाकर छिड़काव का प्रदर्शन किया।

कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल बाजार कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों का उपयोग और प्रयोग करता रहता है। किसानों को नई तकनीकों से परिचय दिलवाने और जिले के किसानों को उन्नति कृषि से जोड़ने के लिए ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव का प्रयोग शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र में किया। 40 मिनट में दो एकड़ सोयाबीन पर फंगसनाशक का छिड़काव किया। इस कार्यक्रम में किसानों तथा कृषि अधिकारियों को ड्रोन के प्रयोग, उसकी तकनीकी दक्षता, प्रयोग करने की विधि एवं अन्य जानकारियां दीं।कीटनाशक छिड़काव तेजी से करने के लिए जिले में अब ड्रोन से फसलों पर कीटनाशक छिड़काव शुरू हो सकता है। 

कृषि विज्ञान केंद्र ड्रोन खरीदने भेजेगा प्रस्ताव

हालांकि ड्रोन से छिड़काव की इस विधि में काफी राशि खर्च करनी पड़ेगी। 7 लाख की लागत से एक ड्रोन खरीदना पड़ेगा। इस डिमांस्ट्रेशन के बाद कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से अब प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। यदि मंजूरी मिलती है तो ड्रोन खरीदे जाएंगे।

ड्रोन में कैमरा नहीं होता, फसल के हिसाब से करेंगे सेटिंग

फसल और कीटनाशक के प्रकार के हिसाब से अलग-अलग फसल की अलग-अलग सेटिंग कर ड्रोन को नीचे और ऊपर रखा जाएगा। जिससे कीटनाशक सही ढंग से छिड़का जा सकेगा। कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर विजय वर्मा ने बताया सामान्य ड्रोन से यह ड्रोन काफी बड़ा रहता है। इसमें कैमरा नहीं होता। इससे कीटनाशक, निंदानाशक, फफूंदनाशक, लिक्विड फर्टिलाइजर का छिड़काव करवाया।

कम मजदूरी और समय की बचत

ड्रोन से केवल 20 मिनट में एक एकड़ जमीन पर कीटनाशक छिड़का जा सकता है। हालांकि इसमें सबसे बड़ी परेशानी बैटरी की आती है। दरअसल बैटरी जल्द खराब होने और ज्यादा नहीं चलने के कारण बैटरी का खर्च ज्यादा आता है। ड्रोन काफी महंगा होता है। किसान इसका रखरखाव करने में सक्षम नहीं होते। हालांकि ड्रोन छिड़काव से मजदूरी की राशि और समय की बचत जरूर होती है।

KVK बैतूल ने सोयाबीन की फसल पर ड्रोन से किया दवा का छिड़काव

satish sahu
बैतूल, खेती को लाभकारी और उन्नत बनाने के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिक लगातार प्रयास में लगे हैं। वैज्ञानिकों का प्रयास है कि कम लागत और कम समय में अच्छी उपज कैसे लिया जाए। इसी कडी में कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल द्वारा पहली बार ड्रोन से स्प्रे का प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम के दौरान केंद्र प्रमुख डॉ. वीके वर्मा, आरडी बारपेटे और डॉ. मेधा दुबे उपस्थित थीं। चेन्नई से आए गरुड़ एअरोस्पेस लिमिटेड के ड्रोन एक्सपर्ट ने इस दौरान ड्रोन उड़ाकर छिड़काव का प्रदर्शन किया।

कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल बाजार कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों का उपयोग और प्रयोग करता रहता है। किसानों को नई तकनीकों से परिचय दिलवाने और जिले के किसानों को उन्नति कृषि से जोड़ने के लिए ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव का प्रयोग शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र में किया। 40 मिनट में दो एकड़ सोयाबीन पर फंगसनाशक का छिड़काव किया। इस कार्यक्रम में किसानों तथा कृषि अधिकारियों को ड्रोन के प्रयोग, उसकी तकनीकी दक्षता, प्रयोग करने की विधि एवं अन्य जानकारियां दीं।कीटनाशक छिड़काव तेजी से करने के लिए जिले में अब ड्रोन से फसलों पर कीटनाशक छिड़काव शुरू हो सकता है। 

कृषि विज्ञान केंद्र ड्रोन खरीदने भेजेगा प्रस्ताव

हालांकि ड्रोन से छिड़काव की इस विधि में काफी राशि खर्च करनी पड़ेगी। 7 लाख की लागत से एक ड्रोन खरीदना पड़ेगा। इस डिमांस्ट्रेशन के बाद कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से अब प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। यदि मंजूरी मिलती है तो ड्रोन खरीदे जाएंगे।

ड्रोन में कैमरा नहीं होता, फसल के हिसाब से करेंगे सेटिंग

फसल और कीटनाशक के प्रकार के हिसाब से अलग-अलग फसल की अलग-अलग सेटिंग कर ड्रोन को नीचे और ऊपर रखा जाएगा। जिससे कीटनाशक सही ढंग से छिड़का जा सकेगा। कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर विजय वर्मा ने बताया सामान्य ड्रोन से यह ड्रोन काफी बड़ा रहता है। इसमें कैमरा नहीं होता। इससे कीटनाशक, निंदानाशक, फफूंदनाशक, लिक्विड फर्टिलाइजर का छिड़काव करवाया।

कम मजदूरी और समय की बचत

ड्रोन से केवल 20 मिनट में एक एकड़ जमीन पर कीटनाशक छिड़का जा सकता है। हालांकि इसमें सबसे बड़ी परेशानी बैटरी की आती है। दरअसल बैटरी जल्द खराब होने और ज्यादा नहीं चलने के कारण बैटरी का खर्च ज्यादा आता है। ड्रोन काफी महंगा होता है। किसान इसका रखरखाव करने में सक्षम नहीं होते। हालांकि ड्रोन छिड़काव से मजदूरी की राशि और समय की बचत जरूर होती है।

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