रायसेन। कृषि विज्ञान केन्द्र, रायसेन द्वारा उद्यानिकी सेमीनार का आयोजन किया गया, जिसमें श्री एन.पी. सुमन, उपसंचालक कृषि, रायसेन, वैज्ञानिक उद्यानिकी, डाॅ. मुकुल कुमार, वैज्ञानिक मृदा विज्ञान, श्री रंजीत सिंह राघव, वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख डा. स्वप्निल दुबे प्रमुखरूप से उपस्थित थे। उद्यानिकी सेमीनार में कृषकों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय बागवानी संस्थान, बेंगलुरू में आयोजित नेषनल हाॅर्टीकल्चर फेयर-2021 का सीधा प्रसारण दिखाया गया।
डा. स्वप्निल दुबे ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देष्य बागवानी स्टार्टअप एंड स्टेंडअप इंडिया अंतर्गत कृषकों को बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रेरित करना है। सेमीनार में कृषकों को आम, अमरूद, पपीता, केला, कटहल, नींबू, आंवला, टमाटर, मिर्च, भिण्डी, आलू, मटर, गेंदा, गुलाब आदि फसलों की जानकारी दी गई।
उपसंचालक कृषि श्री एन.पी. सुमन ने कहा कि जिले में कृषकों को रबी व खरीफ फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों सब्जी व फल की खेती करके अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं। साथ ही विभागीय योजनाओं से जुड़कर लाभान्वित हों।
वैज्ञानिक डा. मुकुल कुमार द्वारा रायसेन जिले में उद्यानिकी फसलों अन्तर्गत अदरक, हल्दी, धनिया, लहसुन, तरबूज, सीताफल आदि फसलों के उत्पादन की अपार सम्भावनाओं को बताया व उद्यानिकी हेतु क्लस्टर एप्रोच व ड्रिव व मल्चिंग तकनीक को अपनाने की सलाह दी।
इस अवसर पर कृषकों द्वारा उत्पादित ब्रोकली, आलू, मषरूम, व कृषि विज्ञान केन्द्र, रायसेन द्वारा उत्पादित पीली गोभी, पर्पल गोभी व ब्रोकली को भी प्रदर्षित किया गया। बायोफोर्टिफाइड फसलों के साथ-साथ अब बायोफोर्टिफाइड सब्जियों की भी मांग बाजार में आ रही है। पीली गोभी केरोटिन रिच, पर्पल गोभी जेन्थोसाईनिन रिच व ब्रोकली एण्टीआॅक्सीडंेट रिच हैं जिनके उपयोग से ज्यादा पोषण, व ज्यादा पौष्टिक होने से कुपोषण को दूर करने में उपयुक्त है व इस तरह की खेती करके अतिरिक्त व अधिक आय प्राप्त की जा सकती है।
इस कार्यक्रम में ग्राम खण्डेरा, नकतरा, मुगालिया, सकतपुर, देहगांव, चांदोनीगढ़ी आदि के लगभग 70 कृषकों ने भाग लिया। कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिक श्रीमती लक्ष्मी चक्रवर्ती, श्री आलोक सूर्यवंषी, श्री ब्रहमानंद शुक्ला, श्री पंकज भार्गव व श्री सुनील केथवास उपस्थित थे।