स्ट्रॉबेरी की खेती भारत में किसानों के लिए एक उभरता हुआ लाभदायक विकल्प बन रही है। लेकिन इसमें सफलता के लिए सही किस्म का चयन बहुत आवश्यक होता है। आज हम बात कर रहे हैं स्ट्रॉबेरी की एक ऐसी प्रजाति की, जिसकी मांग बाजार में बहुत अधिक है – Seascape किस्म। यह किस्म न केवल स्वादिष्ट और आकार में बड़ी होती है, बल्कि कई बीमारियों के प्रति भी प्रतिरोधी है।
Seascape स्ट्रॉबेरी की विशेषताएँ
Seascape एक डे-न्यूट्रल (Day-Neutral) और बारहमासी (Perennial) किस्म है, जिसका मतलब है कि यह साल भर किसी भी समय फूल और फल दे सकती है, बशर्ते उसे अनुकूल मौसम और देखभाल मिले। इसके फल बड़े, चमकदार और अत्यंत स्वादिष्ट होते हैं, जिससे बाजार में इनकी मांग बनी रहती है।
खेत की तैयारी और मिट्टी का चयन
Seascape स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट (Loamy) मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत की तैयारी करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- खेत को 3-4 बार गहराई से जोतें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
- प्रति एकड़ लगभग 20-25 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें।
- खेत में समुचित धूप का प्रबंध होना चाहिए, क्योंकि Seascape किस्म को भरपूर धूप की आवश्यकता होती है।
पौधों की रोपाई और देखभाल
Seascape किस्म के पौधे पहले नर्सरी में तैयार किए जाते हैं। पौधों की रोपाई के लिए अक्टूबर से दिसंबर तक का समय सर्वोत्तम माना जाता है।
- पौधों के बीच 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
- सिंचाई का खास ध्यान रखें; अत्यधिक जलभराव से बचें।
- फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर गुड़ाई करें।
फसल तैयार होने का समय
Seascape स्ट्रॉबेरी की फसल रोपाई के 70 से 90 दिनों के भीतर फल देने लगती है। अच्छी देखभाल के साथ यह किस्म 4 से 5 महीनों तक लगातार उत्पादन देती है।
कमाई और बाजार में मांग
Seascape स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होती है। इसके फलों की बाजार में कीमत लगभग ₹400 से ₹450 प्रति किलो तक होती है। अगर एक एकड़ खेत में इसकी खेती की जाए, तो एक सीजन में लगभग ₹3 लाख से ₹3.5 लाख तक की कमाई संभव है।
प्रोसेसिंग और अन्य उपयोग
इस किस्म के फल जूस, जैम, जैली, आइसक्रीम और केक जैसे महंगे उत्पादों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होते हैं। यही कारण है कि प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी Seascape स्ट्रॉबेरी की भारी मांग रहती है।