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ड्रिप पद्वति से क्रॉप कैफेटेरिया में लगाई गई फसलों का प्रदर्शन 

anil dubey

सागर, जवाहरलाल नेहरू कृषि वि.वि. जबलपुर के विस्तार निदेशक डॉ. डी.पी. शर्मा के निर्देषन में कृषि विज्ञान केंद्र सागर के वैज्ञानिकों द्वारा बुंदेलखंड के साथ-साथ मुख्य रूप से सागर जिले के लिए भी फसलों की विभिन्न उन्नत किस्मों की ड्रिप पद्वति से क्रॉप कैफेटेरिया में लगाई गई फसलों का परीक्षण एवं प्रदर्शन किया जा रहा हैं। जो निष्चित तौर पर भविष्य में पानी की वचत तथा उत्पादकता में वृद्वि के लिए खेती में कारगर सिद्व होगी। वैज्ञानिकों ने किसानों से आह्वान किया है कि वे कृषि विज्ञान केंद्र सागर में पहुंचकर मसूर की 07, अलसी, की 07, चना की 15, गेहूं की 30, किस्मो का अवलोकन कर लाभान्वित हो। वर्तमान में बदलते जलवायु परिवर्तन एवं फसल विविधीकरण के तहत सरसों की 03 एवं कुसुम की कुल 03 उन्नत किस्मों को भी लगाकर जिले की जलवायु के हिसाब से अवलोकन किया जा रहा है।  इस प्रकार ये सभी किस्में लगभग 1 एकड़ के क्रॉप कैफेटेरिया में लगाई गई है। यही ही नहीं परीक्षण के तौर पर इन सभी फसलों को ड्रिप पद्धति से अर्थात बूंद – बूंद पद्धति से लगाई गई है।

अभी तक ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग केवल उद्यानीकी फसलों में ही
केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. केएस यादव के मार्गदर्शन में पादप प्रजनन वैज्ञानिक डॉक्टर ममता सिंह एवं तकनीकी अधिकारी श्री डीपी सिंह द्वारा विभिन्न बिंदुओं पर अवलोकन एवं परीक्षण किया जा रहा है। डॉ. के एस यादव द्वारा बताया गया है कि अभी तक ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग केवल उद्यानीकी फसलों में ही किया जाता हैं। परन्तु केंद्र द्वारा पहली बार ड्रिप सिंचाई पर कृषिगत फसलों को भी इस तरह की पद्धति से लगाई गई हैं। जिससे भविष्य में खेती के लिए पानी की वचत के साथ – साथ पैदावार में भी बढ़ोत्तरी होगी। इसके अतिरिक्त केंद्र पर विभिन्न प्रकार की अन्य प्रदर्शनी इकाई जैसे एजोला उत्पादन, स्पाईनलेस केक्टस, बायोडायजेस्टर एवं डीकम्ंपोजर के प्रयोग के परिक्षण, प्राकृतिक एवं प्लास्टिक मलिं्चग का उद्यानीकी फसल के उत्पादन तुलनात्मक अध्ययन का प्रदर्शन  किया जा रहा हैं।

कृषिगत समस्याओं का भी समाधान किया जा रहा 
साथ ही साथ किसान भाई नर्सरी यूनिट प्रदर्शन इकाई, पोषण वाटिका एवं अमरूद आंवला, आम फलदार वृक्षों की ड्रिप पद्वति एवं केनापी प्रबन्धन के प्रदर्शन का भी अवलोकन कर सकते हैं। केंद्र द्वारा तकनीकी एवं मार्गदर्शन कक्ष में प्रदर्शनी के साथ-साथ केंद्र पर पहुंच रहे किसानों की समसमायिक कृषिगत समस्याओं का भी समाधान किया जा रहा है। किसान मोबाइल एडवाइजरी की सहायता से लगभग एक बार में ही 80000 किसानों को संदेश भेज कर तकनीकी सलाह भी प्रदान की जा रही है। वर्तमान में केन्द्र पर प्राकृतिक एवं जैविक खेती के अनुप्रयोग के साथ – साथ किसानो को भी इसके विभिन्न आयामो से अवगत कराकर जागरूक किया जा रहा हैं।

ड्रिप पद्वति से क्रॉप कैफेटेरिया में लगाई गई फसलों का प्रदर्शन 

anil dubey

सागर, जवाहरलाल नेहरू कृषि वि.वि. जबलपुर के विस्तार निदेशक डॉ. डी.पी. शर्मा के निर्देषन में कृषि विज्ञान केंद्र सागर के वैज्ञानिकों द्वारा बुंदेलखंड के साथ-साथ मुख्य रूप से सागर जिले के लिए भी फसलों की विभिन्न उन्नत किस्मों की ड्रिप पद्वति से क्रॉप कैफेटेरिया में लगाई गई फसलों का परीक्षण एवं प्रदर्शन किया जा रहा हैं। जो निष्चित तौर पर भविष्य में पानी की वचत तथा उत्पादकता में वृद्वि के लिए खेती में कारगर सिद्व होगी। वैज्ञानिकों ने किसानों से आह्वान किया है कि वे कृषि विज्ञान केंद्र सागर में पहुंचकर मसूर की 07, अलसी, की 07, चना की 15, गेहूं की 30, किस्मो का अवलोकन कर लाभान्वित हो। वर्तमान में बदलते जलवायु परिवर्तन एवं फसल विविधीकरण के तहत सरसों की 03 एवं कुसुम की कुल 03 उन्नत किस्मों को भी लगाकर जिले की जलवायु के हिसाब से अवलोकन किया जा रहा है।  इस प्रकार ये सभी किस्में लगभग 1 एकड़ के क्रॉप कैफेटेरिया में लगाई गई है। यही ही नहीं परीक्षण के तौर पर इन सभी फसलों को ड्रिप पद्धति से अर्थात बूंद – बूंद पद्धति से लगाई गई है।

अभी तक ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग केवल उद्यानीकी फसलों में ही
केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. केएस यादव के मार्गदर्शन में पादप प्रजनन वैज्ञानिक डॉक्टर ममता सिंह एवं तकनीकी अधिकारी श्री डीपी सिंह द्वारा विभिन्न बिंदुओं पर अवलोकन एवं परीक्षण किया जा रहा है। डॉ. के एस यादव द्वारा बताया गया है कि अभी तक ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग केवल उद्यानीकी फसलों में ही किया जाता हैं। परन्तु केंद्र द्वारा पहली बार ड्रिप सिंचाई पर कृषिगत फसलों को भी इस तरह की पद्धति से लगाई गई हैं। जिससे भविष्य में खेती के लिए पानी की वचत के साथ – साथ पैदावार में भी बढ़ोत्तरी होगी। इसके अतिरिक्त केंद्र पर विभिन्न प्रकार की अन्य प्रदर्शनी इकाई जैसे एजोला उत्पादन, स्पाईनलेस केक्टस, बायोडायजेस्टर एवं डीकम्ंपोजर के प्रयोग के परिक्षण, प्राकृतिक एवं प्लास्टिक मलिं्चग का उद्यानीकी फसल के उत्पादन तुलनात्मक अध्ययन का प्रदर्शन  किया जा रहा हैं।

कृषिगत समस्याओं का भी समाधान किया जा रहा 
साथ ही साथ किसान भाई नर्सरी यूनिट प्रदर्शन इकाई, पोषण वाटिका एवं अमरूद आंवला, आम फलदार वृक्षों की ड्रिप पद्वति एवं केनापी प्रबन्धन के प्रदर्शन का भी अवलोकन कर सकते हैं। केंद्र द्वारा तकनीकी एवं मार्गदर्शन कक्ष में प्रदर्शनी के साथ-साथ केंद्र पर पहुंच रहे किसानों की समसमायिक कृषिगत समस्याओं का भी समाधान किया जा रहा है। किसान मोबाइल एडवाइजरी की सहायता से लगभग एक बार में ही 80000 किसानों को संदेश भेज कर तकनीकी सलाह भी प्रदान की जा रही है। वर्तमान में केन्द्र पर प्राकृतिक एवं जैविक खेती के अनुप्रयोग के साथ – साथ किसानो को भी इसके विभिन्न आयामो से अवगत कराकर जागरूक किया जा रहा हैं।

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