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खरीफ फसलों में निंदाई-गुड़ाई प्रबंधन पर वैज्ञानिकों की सलाह

टीकमगढ़, कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी.एस. किरार, वैज्ञानिक, डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ. एस.के. जाटव एवं डॉ. आई.डी. सिंह, जयपाल छिगारहा द्वारा खरीफ फसलों में नींदा प्रबंधन समय पर करने की समसमायिकी सलाह दी गयी। खरीफ फसलों में नींदा प्रबंधन अधिकांशतः किसान द्वारा बुवाई के एक-डेढ़ माह बाद रासायनिक दवाओं के प्रयोग या निंदाई द्वारा किया जाता है जबकि फसलों के उत्पादन में नींदा एक महत्वपूर्ण रुकावट पैदा करता है। फसलों से नींदा को शुरुआती अवस्था में ही निकाल देने से फसल से नींदा की प्रतिस्पर्धा नहीं हो पाती है। अन्यथा नींदा अधिक पोषक तत्व, नमी और भूमि का उपयोग कर फसल को कमजोर कर देता है, जिससे फसलों का उत्पादन 10% से 70% तक कम हो जाता है। नींदा प्रबंधन का सबसे सार्थक परिणाम किसानों/श्रमिकों द्वारा निंदाई-गुड़ाई से आते हैं लेकिन श्रमिक समस्या के अभाव में रासायनिक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं।

उड़द एवं मूँग में शाकनाशी दवा इमाज़ेथापायर 10% एस.एल. 250 मि.ली. प्रति एकड़ 250 ली. पानी में घोल बनाकर बुवाई के 15 से 25 दिन के अन्दर छिड़काव करें। सोयाबीन में खड़ी फसल में इमाज़ेथापायर 10% एस.एल. 400 मि.ली. प्रति एकड़ या क्विजालोफ इथाइल 5% ई.सी. दवा 400 मि.ली. प्रति एकड़ या हैलोक्सीफोप 10.8% ई.सी. दवा 500 मि.ली. प्रति एकड़ और मूंगफली में खड़ी फसल में इमाज़ेथापायर 10% एस.एल. 400 मि.ली. प्रति एकड़ और धान में घास कुल, मौथा कुल तथा चौड़ी पत्ती के नियंत्रण हेतु बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी. 32 ग्राम प्रति एकड़ बुवाई या रोपाई के 15 से 20 दिन के अंदर छिड़काव करना चाहिए। चौड़ी पत्ती वाले नींदा हेतु 2-4 डी दवा 400 मि.ली. प्रति एकड़ रोपाई/बुवाई के 25-35 दिन के अंदर छिड़काव करना चाहिए। मक्का में चौड़ी पत्ती नींदा नियंत्रण हेतु बुवाई के 30-35 दिन बाद 2-4 डी 400 ग्राम प्रति एकड़ या दूसरी बुवाई के 18-21 दिन बाद टेम्बोट्रिवन दवा का छिड़काव करने से नींदा आसानी से नियंत्रण हो जाते हैं।

खरीफ फसलों में निंदाई-गुड़ाई प्रबंधन पर वैज्ञानिकों की सलाह

टीकमगढ़, कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी.एस. किरार, वैज्ञानिक, डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ. एस.के. जाटव एवं डॉ. आई.डी. सिंह, जयपाल छिगारहा द्वारा खरीफ फसलों में नींदा प्रबंधन समय पर करने की समसमायिकी सलाह दी गयी। खरीफ फसलों में नींदा प्रबंधन अधिकांशतः किसान द्वारा बुवाई के एक-डेढ़ माह बाद रासायनिक दवाओं के प्रयोग या निंदाई द्वारा किया जाता है जबकि फसलों के उत्पादन में नींदा एक महत्वपूर्ण रुकावट पैदा करता है। फसलों से नींदा को शुरुआती अवस्था में ही निकाल देने से फसल से नींदा की प्रतिस्पर्धा नहीं हो पाती है। अन्यथा नींदा अधिक पोषक तत्व, नमी और भूमि का उपयोग कर फसल को कमजोर कर देता है, जिससे फसलों का उत्पादन 10% से 70% तक कम हो जाता है। नींदा प्रबंधन का सबसे सार्थक परिणाम किसानों/श्रमिकों द्वारा निंदाई-गुड़ाई से आते हैं लेकिन श्रमिक समस्या के अभाव में रासायनिक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं।

उड़द एवं मूँग में शाकनाशी दवा इमाज़ेथापायर 10% एस.एल. 250 मि.ली. प्रति एकड़ 250 ली. पानी में घोल बनाकर बुवाई के 15 से 25 दिन के अन्दर छिड़काव करें। सोयाबीन में खड़ी फसल में इमाज़ेथापायर 10% एस.एल. 400 मि.ली. प्रति एकड़ या क्विजालोफ इथाइल 5% ई.सी. दवा 400 मि.ली. प्रति एकड़ या हैलोक्सीफोप 10.8% ई.सी. दवा 500 मि.ली. प्रति एकड़ और मूंगफली में खड़ी फसल में इमाज़ेथापायर 10% एस.एल. 400 मि.ली. प्रति एकड़ और धान में घास कुल, मौथा कुल तथा चौड़ी पत्ती के नियंत्रण हेतु बिस्पाइरिबैक सोडियम 10% एस.सी. 32 ग्राम प्रति एकड़ बुवाई या रोपाई के 15 से 20 दिन के अंदर छिड़काव करना चाहिए। चौड़ी पत्ती वाले नींदा हेतु 2-4 डी दवा 400 मि.ली. प्रति एकड़ रोपाई/बुवाई के 25-35 दिन के अंदर छिड़काव करना चाहिए। मक्का में चौड़ी पत्ती नींदा नियंत्रण हेतु बुवाई के 30-35 दिन बाद 2-4 डी 400 ग्राम प्रति एकड़ या दूसरी बुवाई के 18-21 दिन बाद टेम्बोट्रिवन दवा का छिड़काव करने से नींदा आसानी से नियंत्रण हो जाते हैं।

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