सिवनी में ‘संजीवनी’ को संरक्षण की दरकार

सिवनी जिले में कई आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं जो जंगलों से घिरे हैं और प्राकृतिक वातावरण से परिपूर्ण है। जिले में प्राप्त औषधियों में कई गुण विद्यमान रहते हैं। जो बड़े-बड़े असाध्य रोगों से लोगों को निजात दिलाते हैं। वहीं कई जगह वन संपदा को नुकसान पहुंचाया जाता है जिसके नतीजा यह होता है कि औषधियों की संख्या घट जाती है। सिर के बाल झडऩे की समस्या दूर करने जंगल मिलने वाली दुर्लभ जटाशंकर औषधि की जड़ का उपयोग होता है।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह: खेतों की नरवाई नहीं जलाए किसान 

भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये पराली(नरवाई/पुऔल) नहीं जलाए  नरसिंहपुर, जिले के किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने हेतु और भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये पराली(नरवाई/पुऔल) नहीं जलाए। कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख … Read more

वैज्ञानिकों का कमाल, विकसित किया ऐसा पेड़, जिसमें होंगे 12 किस्म के आम

एक वैज्ञानिक ने बताया कि आम के एक ही पेड़ पर एक दर्जन प्रजातियों के फल उगाने की यह तकनीक ग्राफ्टिंग के जरिए काफी पहले विकसित कर ली गई है, लेकिन अब पहली बार किसानों को इस तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद किसानों को इसके लिए पौधे भी उपलब्ध कराए जाएंगे और खेती के दौरान उन्हें तकनीकी मदद भी दी जाएगी।

विश्व मधुमक्खी दिवस पर मधुमक्खियों‌ के महत्व पर हुई चर्चा

आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र कोटवा पर विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर मधुमक्खी पालकों, किसानों एवं कृषि छात्रों से चर्चा की गई। मीठी क्रांति के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु आवश्यक जानकारी व मधुमक्खियों के पर्यावरण संरक्षण और खाद्य सुरक्षा में योगदान के बारे में विस्तार से बताया गया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में मधुमक्खी पालन के लिए माह मई से लेकर सितम्बर तक का समय मुश्किलों से भरा होता है।

विश्व मधुमक्खी दिवस पर मधुमक्खी पालन एवं प्रबंधन पर छात्रों को प्रशिक्षित किया 

कृषि विज्ञान केंद्र, रीवा, म प्र के प्रमुख डा ए के पांडेय के निर्देशन में केंद्र में विश्व मधुमक्खी दिवस का आयोजन किया गया, जिसमे शहीद मेजर आशीष दुबे शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (सी एम राइज), मनगवा रीवा म प्र के छात्र छात्राओं ने व्यवसायिक प्रशिक्षक आदर्श पटेल एवम प्रियव्रतनाथ तिवारी के साथ भाग लिया।

काले मोतियों की उजली कहानी, बस्तर के जंगलों की जुबानी

लगभग 25 साल पहले यहाँ के एक प्रगतिशील किसान वैज्ञानिक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने खेती के जो जैविक एवं हर्बल खेती के जो नए नए प्रयोग शुरू किये थे। उनमें सबसे प्रमुख सपना था छत्तीसगढ़ के लिए काली-मिर्च की नई प्रजाति का विकास तथा उसे छत्तीसगढ़ के किसानों के खेतों पर और जंगलों में सफल करके दिखाना।

नीमास्त्र: फसल का रक्षक, जानिए कैसे बनाएं और प्रयोग का तरीका

भोपाल, जैसा कि हम लोग जानते हैं कि नीम हमारे जीवन मे महत्वपूर्ण स्थान रखती है। नीम का कई तरह  से प्रयोग किया जाता। फसलों में कीट ब्याधि और खासकर रास चूसने वाले कीटों के प्रकोप को रोकने में यह बहुत सफल है। नीमस्त्र अकेला ऐसा कीटनाशक जो दिला सकता है आपको कीटों से निज़ात … Read more

मोटे अनाज को बढ़ावा देने सड़क पर उतरे कलेक्टर-विधायक, निकाली जागरूकता रैली 

रैली को विधायक नीना वर्मा , कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया । इस मौके पर विधायक वर्मा ने कहा कि मिलेट फसलों को बढ़ावा देने तथा जिले में ज्वार फसल को लगाने के लिए कृषक भाईयो को प्रेरित करें एवं श्री अन्न अंतर्गत आने वाली फसलों के महत्व को आम जन को बताएं । कलेक्टर श्री मिश्रा ने जिले के कृषकों को पोषक तत्वों के भण्डार माने जाने वाले पोषक अनाज को खरीफ सीजन में अधिक से अधिक उगाये जाने की अपील की।

‘ब्रम्हास्त्र’ फसलों को रोगों से बचाए और फायदा दिलाए, जानिए कैसे घर पर ही बनाएं 

केमिकल वाली खेती में उत्पादन तो बढ जाता है, लेकिन उत्पादित फसल सेहत को कितना नुकसान पहुंचा रही है इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। सरकार द्वारा प्राकृतिक और जैविक खेती को बढावा देने के लिए चालाए जा रहे अभियान से लोगों किसानों में जागरूकता आ रही है और वो प्राकृतिक और जैविक खेती की तरफ बढ रहे हैं।

महुआ गरीबों के पोषण के लिये सबसे सस्ती और उत्तम फसल, जानिए इसके फायदे

फार्मेसी और खाद्य उद्योग के लिए वरदान डॉ. आर.के. प्रजापति, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ (म.प्र.) बुन्देलखण्ड को प्रकृति ने सूखे से लड़ने के लिये तीन पेड़ दिये थे बेर, पलाश और महुआ। सूखे इलाकों में महुआ गरीबों के पोषण के लिये सबसे सस्ती और उत्तम फसल है। महुए की फसल सुखाकर रख ली जाये … Read more