लहार। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा प्राकृतिक खेती परियोजना अंतर्गत रौन ब्लॉक के मानगढ़ गांव में किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को प्राकृतिक कृषि के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। इस अवसर पर मानगढ़ सहित आसपास के गांवों के प्रगतिशील किसानों ने भाग लेकर प्राकृतिक खेती की बारीकियों को समझा। संगोष्ठी में किसानों को संबोधित करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ एस पी सिंह ने कहा कि प्राकृतिक कृषि अपनाने से किसानों की
लागत में कमी आएगी तथा तथा समाज में फैल रहीं प्राण घातक बीमारियों से बचा जा सकेगा। रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों युक्त खेती कैंसर जैसे प्राणघातक रोग फैलाकर लोगों की जान ले रही है। इन सब समस्याओं से बचने के लिए किसानों को प्राकृतिक खेती की दिशा में आगे बढ़ना होगा। प्राकृतिक कृषि देशी गाय आधारित खेती है। एक देशी गाय से किसान 30 एकड़ भूमि पर बड़ी आसानी से प्राकृतिक कृषि कर सकते हैं। प्राकृतिक कृषि में देशी गाय के गोमूत्र और गोबर से जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत आदि बनाकर खेती में प्रयोग किया जाता है। प्राकृतिक कृषि से किसानों की लागत में काफी कमी आती है। वही प्राकृतिक कृषि से पैदा उत्पाद स्वास्थ्य के लिए उत्कृष्ट श्रेणी के होते हैं। बाजार में प्राकृतिक कृषि के माध्यम से पैदा किए गए कृषि उत्पादों से दुगनी कीमत किसानों को प्राप्त हो सकती है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वह प्राकृतिक कृषि की दिशा में आगे बढ़े और इसे अपनाएं।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अवधेश सिंह ने बताया कि देशी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 से लेकर 500 करोड़ तक सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं। जिन किसानों के पास देशी गाय नहीं है, ऐसे किसान आवारा, घुमंतू देशी गाय को पकड़कर उसका गोमूत्र और गोबर इकट्ठा कर सकते हैं। इससे आवारा गायों को नया जीवनदान मिलेगा तथा किसानों को प्राकृतिक खेती की दिशा में बढ़ने का अवसर प्राप्त होगा।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक (उद्यान) डॉ करणवीर सिंह ने बताया कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से फल-सब्जी की खेती बहुत अच्छे तरीके से की जा सकती है। प्राकृतिक कृषि में तैयार उत्पाद फल व सब्जी की खेती में लगाने से फल-सब्जी की गुणवत्ता अच्छी प्राप्त होती है। इतना ही नहीं प्राकृतिक कृषि के उत्पादों से फल व सब्जी की खेती में अच्छा उत्पादन भी प्राप्त प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि फल वृक्ष तथा सब्जी की खेती में प्राकृतिक कृषि के महत्वपूर्ण घटक आच्छादन के माध्यम से हम खरपतवारों को रोकने के साथ ही पानी की आवश्यकता बहुत कम कर सकते हैं।
प्राकृतिक कृषि किसान संगोष्ठी के आयोजन की अध्यक्षता मानगढ़ गांव के महावीर सिंह सिकरवार तथा संचालन आत्मा परियोजना रौन ब्लॉक के बीटीएम मुकेश शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर गांव के दर्जनों किसान भाई उपस्थित थे। जिसमें प्रमुख रूप से सुरेंद्र सिंह, दशरथ सिंह, जगमोहन सिंह, करतार सिंह, भारत सिंह, महेंद्र प्रताप, राम सुगम आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।
विदित हो कि कृषि विज्ञान केंद्र, लहार द्वारा भारत सरकार द्वारा संचालित प्राकृतिक कृषि परियोजना के अंतर्गत संपूर्ण जिले में प्राकृतिक कृषि जागरूकता अभियान के अंतर्गत कृषक संगोष्ठीयों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे जिले के किसानों को प्राकृतिक कृषि के प्रति जागरूक किया जा सके।
इसे भी देखें
– देश-दुनिया तथा खेत-खलिहान, गांव और किसान के ताजा समाचार पढने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म गूगल न्यूज, गूगल न्यूज, फेसबुक, फेसबुक 1, फेसबुक 2, टेलीग्राम, टेलीग्राम 1, लिंकडिन, लिंकडिन 1, लिंकडिन 2, टवीटर, टवीटर 1, इंस्टाग्राम, इंस्टाग्राम 1, कू ऐप से जुडें- और पाएं हर पल की अपडेट