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‘गो ट्राइबल-मेरा वन मेरा धन मेरा उद्यम’ आदिवासियों के लिए संजीवनी बन कर उभरी 

नई दिल्ली, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तत्वावधान में पिछले एक वर्षमें ट्राइफेड ने महामारी के कारण गंभीर रूप से प्रभावित होकर परेशानी में घिरे आदिवासियों की आजीविका में सुधार करने में मदद करने के लिए अनेक शुरुआतें लागू की हैं । यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह पहल आदिवासियों तक पहुंचे और उन्हें मौजूदा योजनाओं और पहलों से लाभान्वित किया जा सके, देशभर में ट्राइफेड के क्षेत्रीय अधिकारी पूरे देश में महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले गांवों की पहचान करेंगे और दिनांक 31 मार्च, 2021 तक वहां अपना आधार स्थापित करेंगे । ज़मीनी स्तर पर मौजूद होने से ट्राइफेड के अधिकारियों को इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी करने और आदिवासी भाइयों का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

‘गो वोकल फ़ॉर लोकल’ के आधार पर ‘गो वोकल फ़ॉर लोकल गो ट्राइबल-मेरा वन मेरा धन मेरा उद्यम’ का सिद्धांत अपनाते हुए मौजूदा कार्यक्रमों के अतिरिक्त अनेक पथ प्रदर्शक शुरुआतें आदिवासियों के लिए संजीवनी बन कर उभरी हैं ।

इन पहलों में वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से एमएफपी के विपणन की प्रणाली तथा लघु वनोपज (एमएफपी) के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास जैसी योजनाएं शामिल हैं जो वनउत्पादों के संग्रहकर्ताओं को एमएसपी की सुविधा प्रदान करती हैं, साथ ही जनजातीय समूहों के माध्यम से मूल्य संवर्धन एवं विपणन जिसको समूचे देश में व्यापक स्वीकृति प्राप्त हुई है।

न सिर्फ जनजातीय वाणिज्य को बढ़ाने के लिए बल्कि गांव आधारित जनजातीय उत्पादकों और कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय मानकों वाले अत्याधुनि कई-प्लेटफॉर्म्स की स्थापना के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मैप एवं लिंक करने के लिए सभी कुछ समेटे एक डिजिटलीकरण अभियान भी शुरू किया गया था।

ट्राइफेड ने वनधन योजना, ग्रामीण हाट, वनवासियों के गोदामोंसे संबंधित सभी सूचना को वन धन एमआईएस पोर्टल में डिजिटलीकृत कर दिया है ।डिजिटलीकरण के इस प्रयास का, जिसमें जीआईएस तकनीक के माध्यम से सभी जनजातीय क्लस्टर्स की पहचान एवं मैपिंग की गई है, उनका ग्राम कनेक्ट के इस चरण केदौरान लाभ उठाया जाएगा । ट्राईफेड के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी जनजातीय उत्पादकों और समूहों को इन डिजिटल प्रणालियों में मैप किया गया है और अन्य मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ समन्वय से उपलब्ध सभी लाभ प्राप्तकरेंगे । गांवों को इस पोर्टल से जोड़ा जाएगा।

इसके अलावा, ट्राईफेड ने एमएफपी, हस्तशिल्प और हथकरघा की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिए जनजातीय उत्पादकों-वनवासियों और कारीगरों केलिए एक बाजार भी शुरू किया है । धीरे-धीरे देश भर में 5 लाख आदिवासी उत्पादकों को उनकी प्राकृतिक उपज तथा उनके दस्तकारी के सामानों को बाज़ार सेजोड़ा जा रहा है । जमीनी स्तर पर ट्राइफेड अधिकारियों की उपस्थिति से यहअपेक्षा की जाती है कि जनजातीय कारीगरों को पर्याप्त रूप से सूचित कियाजाएगा और उनकी मदद की जाएगी ताकि वे बड़े बाजारों तक अधिक पहुंच प्राप्त करसकें और इस प्रकार उनकी आय में सुधार हो सके।

उम्मीद है कि ट्राइफेड के गांव और डिजिटल कनेक्ट के इस चरण सेअगले वर्ष में सभी नियोजित पहलों के सफल कार्यान्वयन में काफी सहायता मिलेगी और देश भर में जनजातीय पारितंत्र में पूर्ण परिवर्तन होगा।

‘गो ट्राइबल-मेरा वन मेरा धन मेरा उद्यम’ आदिवासियों के लिए संजीवनी बन कर उभरी 

नई दिल्ली, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तत्वावधान में पिछले एक वर्षमें ट्राइफेड ने महामारी के कारण गंभीर रूप से प्रभावित होकर परेशानी में घिरे आदिवासियों की आजीविका में सुधार करने में मदद करने के लिए अनेक शुरुआतें लागू की हैं । यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह पहल आदिवासियों तक पहुंचे और उन्हें मौजूदा योजनाओं और पहलों से लाभान्वित किया जा सके, देशभर में ट्राइफेड के क्षेत्रीय अधिकारी पूरे देश में महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले गांवों की पहचान करेंगे और दिनांक 31 मार्च, 2021 तक वहां अपना आधार स्थापित करेंगे । ज़मीनी स्तर पर मौजूद होने से ट्राइफेड के अधिकारियों को इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी करने और आदिवासी भाइयों का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

‘गो वोकल फ़ॉर लोकल’ के आधार पर ‘गो वोकल फ़ॉर लोकल गो ट्राइबल-मेरा वन मेरा धन मेरा उद्यम’ का सिद्धांत अपनाते हुए मौजूदा कार्यक्रमों के अतिरिक्त अनेक पथ प्रदर्शक शुरुआतें आदिवासियों के लिए संजीवनी बन कर उभरी हैं ।

इन पहलों में वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से एमएफपी के विपणन की प्रणाली तथा लघु वनोपज (एमएफपी) के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास जैसी योजनाएं शामिल हैं जो वनउत्पादों के संग्रहकर्ताओं को एमएसपी की सुविधा प्रदान करती हैं, साथ ही जनजातीय समूहों के माध्यम से मूल्य संवर्धन एवं विपणन जिसको समूचे देश में व्यापक स्वीकृति प्राप्त हुई है।

न सिर्फ जनजातीय वाणिज्य को बढ़ाने के लिए बल्कि गांव आधारित जनजातीय उत्पादकों और कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय मानकों वाले अत्याधुनि कई-प्लेटफॉर्म्स की स्थापना के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मैप एवं लिंक करने के लिए सभी कुछ समेटे एक डिजिटलीकरण अभियान भी शुरू किया गया था।

ट्राइफेड ने वनधन योजना, ग्रामीण हाट, वनवासियों के गोदामोंसे संबंधित सभी सूचना को वन धन एमआईएस पोर्टल में डिजिटलीकृत कर दिया है ।डिजिटलीकरण के इस प्रयास का, जिसमें जीआईएस तकनीक के माध्यम से सभी जनजातीय क्लस्टर्स की पहचान एवं मैपिंग की गई है, उनका ग्राम कनेक्ट के इस चरण केदौरान लाभ उठाया जाएगा । ट्राईफेड के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी जनजातीय उत्पादकों और समूहों को इन डिजिटल प्रणालियों में मैप किया गया है और अन्य मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ समन्वय से उपलब्ध सभी लाभ प्राप्तकरेंगे । गांवों को इस पोर्टल से जोड़ा जाएगा।

इसके अलावा, ट्राईफेड ने एमएफपी, हस्तशिल्प और हथकरघा की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिए जनजातीय उत्पादकों-वनवासियों और कारीगरों केलिए एक बाजार भी शुरू किया है । धीरे-धीरे देश भर में 5 लाख आदिवासी उत्पादकों को उनकी प्राकृतिक उपज तथा उनके दस्तकारी के सामानों को बाज़ार सेजोड़ा जा रहा है । जमीनी स्तर पर ट्राइफेड अधिकारियों की उपस्थिति से यहअपेक्षा की जाती है कि जनजातीय कारीगरों को पर्याप्त रूप से सूचित कियाजाएगा और उनकी मदद की जाएगी ताकि वे बड़े बाजारों तक अधिक पहुंच प्राप्त करसकें और इस प्रकार उनकी आय में सुधार हो सके।

उम्मीद है कि ट्राइफेड के गांव और डिजिटल कनेक्ट के इस चरण सेअगले वर्ष में सभी नियोजित पहलों के सफल कार्यान्वयन में काफी सहायता मिलेगी और देश भर में जनजातीय पारितंत्र में पूर्ण परिवर्तन होगा।

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