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विश्व मधुमक्खी दिवस पर मधुमक्खी पालन एवं प्रबंधन पर बेबीनार 

सागर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निर्देशानुसार कृषि विज्ञान केन्द्र सागर-।।, बिजौरा, देवरी द्वारा 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर कृषकों एवं आदान विक्रताअ  हेतु मधुमक्खी पालन एवं प्रबंधन पर आनलाईन प्रषिक्षण का आयोजन किया गया। 

केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ0 आशीष त्रिपाठी ने कहा कि आधुनिक कृषि में रासायनिक कीटनाशिय¨ का प्रयोग ज्यादा होता है जिससे धीरे-धीरे मधुमक्खियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है जिसका पर्यावरण व कृषि द®न¨ पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। उन्ह¨ने वतया कि विभिन्न प्रकार के फसलों में मधुमक्खियों द्वारा परागण की प्रक्रिया से 2 से 31 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों से शहद के साथ-साथ फसलों में परागण एवं अन्य सह उत्पाद जैसे -मोम, वेनम, रॉयल जेली, परागकण, प्रोपोलिस आदि भी प्राप्त होता हैं। 
डाॅ0 त्रिपाठी ने मधुमक्खियों का जीवनचक्र, मधुमक्खी के प्रबंधन एवं रख रखाव पर भी प्रकाश डाला तथा मधुमक्खीपालन से प्रतिवर्ष कुल लाभ का भी ब्यौरा समझाया। कार्यक्रम में केन्द्र के श्री मयंक मेहरा तथा सुखलाल वास्केल एवंंंंंं आदान विक्रताअ® ने भाग लिया।
      

विश्व मधुमक्खी दिवस पर मधुमक्खी पालन एवं प्रबंधन पर बेबीनार 

सागर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निर्देशानुसार कृषि विज्ञान केन्द्र सागर-।।, बिजौरा, देवरी द्वारा 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर कृषकों एवं आदान विक्रताअ  हेतु मधुमक्खी पालन एवं प्रबंधन पर आनलाईन प्रषिक्षण का आयोजन किया गया। 

केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ0 आशीष त्रिपाठी ने कहा कि आधुनिक कृषि में रासायनिक कीटनाशिय¨ का प्रयोग ज्यादा होता है जिससे धीरे-धीरे मधुमक्खियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है जिसका पर्यावरण व कृषि द®न¨ पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। उन्ह¨ने वतया कि विभिन्न प्रकार के फसलों में मधुमक्खियों द्वारा परागण की प्रक्रिया से 2 से 31 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों से शहद के साथ-साथ फसलों में परागण एवं अन्य सह उत्पाद जैसे -मोम, वेनम, रॉयल जेली, परागकण, प्रोपोलिस आदि भी प्राप्त होता हैं। 
डाॅ0 त्रिपाठी ने मधुमक्खियों का जीवनचक्र, मधुमक्खी के प्रबंधन एवं रख रखाव पर भी प्रकाश डाला तथा मधुमक्खीपालन से प्रतिवर्ष कुल लाभ का भी ब्यौरा समझाया। कार्यक्रम में केन्द्र के श्री मयंक मेहरा तथा सुखलाल वास्केल एवंंंंंं आदान विक्रताअ® ने भाग लिया।
      

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