सरकार की “इंटीग्रेटेड हॉर्टिकल्चर मिशन” स्कीम के तहत अब किसान भाइयों को लीची की खेती पर सीधा 50% सब्सिडी दी जा रही है। एक हेक्टेयर लीची की खेती में करीब 2 लाख रुपये खर्च आता है, जिसमें से अब 1 लाख रुपये सरकार देगी। मतलब साफ है – अब लीची की खेती करना ना सिर्फ आसान है, बल्कि मुनाफे का सौदा भी है। साथ ही, लीची से जैम, स्क्वैश और जूस बनाकर भी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।
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बिहार की शाही लीची दुनियाभर में मशहूर
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लीची उत्पादक देश है और इसमें भी करीब 70% लीची सिर्फ बिहार में होती है। यहां की ‘शाही लीची’ देश ही नहीं, विदेशों तक मशहूर है। बिहार से बड़ी मात्रा में लीची का एक्सपोर्ट भी होता है। ऐसे में यहां के किसान अगर सही तकनीक से लीची की खेती करें तो उनकी आमदनी में जबरदस्त उछाल आ सकता है।
पौधा लगाने का सही समय और तरीका
उत्तर भारत में जुलाई-अगस्त का महीना लीची का बाग लगाने के लिए सबसे अच्छा होता है। पौधा लगने के बाद पहले 15 दिन रोज पानी देना जरूरी है। उसके बाद ज़रूरत के हिसाब से सिंचाई करें। पौधों के चारों तरफ सूखी घास या पॉलीथीन बिछा दें, ताकि नमी बनी रहे।
ड्रिप-स्प्रिंकलर से सिंचाई पर मिलेगी 80% सब्सिडी
जो किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी माइक्रो इरिगेशन तकनीक अपनाएंगे, उन्हें “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” के तहत 80% तक सब्सिडी मिलेगी। इससे पानी की बचत होगी, उपज भी बढ़ेगी। आवेदन करने के लिए किसान http://horticulturebihar.gov.in पर जाएं या अपने नजदीकी बागवानी अधिकारी से संपर्क करें।