आज के समय में किसान ऐसे फसलों की खोज में रहते हैं, जिनकी खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक हो। ऐसे में “पुसा फागुनी” (Pusa Phaguni) किस्म की बरबटी की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है। यह किस्म जल्दी तैयार होती है, रोगों के प्रति सहनशील होती है और अधिक उपज देती है।
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बरबटी की खेती जून में करें
पुसा फागुनी किस्म की बरबटी की बुवाई के लिए जून का महीना सबसे उपयुक्त होता है। इस समय मौसम बरसात का होता है, जो इसकी अंकुरण और वृद्धि के लिए फायदेमंद रहता है। अच्छी पैदावार के लिए समय पर बुवाई जरूरी है।
खेत की तैयारी और मृदा की गुणवत्ता
बरबटी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी (sandy loam soil) सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी का pH स्तर 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह जुताई करें और प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर की सड़ी हुई खाद मिलाएं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसल मजबूत होती है।
बीज और बुवाई की विधि
- केवल “पुसा फागुनी” किस्म के ही प्रमाणित बीज का उपयोग करें।
- बीजों को बुवाई से पहले जैविक फफूंदनाशक से उपचारित करें।
- कतार से कतार की दूरी 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेमी रखें।
- बीजों को लगभग 2-3 सेमी गहराई पर बोएं।
फसल की देखभाल
- फसल को प्रारंभिक अवस्था में निराई-गुड़ाई आवश्यक है ताकि खरपतवार न पनपें।
- आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें, विशेषकर सूखे की स्थिति में।
- रोगों और कीटों से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें।
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कितनी उपज और लाभ मिलेगा?
यदि आप एक हेक्टेयर में “पुसा फागुनी” बरबटी की खेती करते हैं, तो लगभग 70-75 क्विंटल की उपज प्राप्त की जा सकती है। मंडियों में बरबटी की कीमत ₹4000–₹6000 प्रति क्विंटल तक मिलती है। इस तरह किसान लाखों रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं, जबकि लागत काफी कम होती है।
यदि आप कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो “पुसा फागुनी” किस्म की बरबटी की खेती आपके लिए बेहतरीन विकल्प है। सही समय, उचित देखभाल और आधुनिक कृषि तकनीक अपनाकर किसान इस फसल से शानदार आय प्राप्त कर सकते हैं।