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किसानों की गिनती करवा रही सरकार, जानिए क्या होगा लाभ

खेती के रकबे की सिंचाई का भी होगा लेखा-जोखा 

भोपाल। प्रदेश में किसानों की गिनती शुरू हो गई है। इससे लघु, मध्यम, छोटे व बड़े किसानों की स्थिति का पता चलेगा। पटवारियों की ओर से तैयार गणना रिपोर्ट से किसानोंं का डाटा बैंक बनेगा। इनका इस्तेमाल सरकारी योजनाएं बनाने और उसका लाभ दिलाने में होगा। इस बार किसानों की संख्या के साथ ही फसल के पैटर्न, सिंचाई और भूमि के उपयोग का ब्योरा भी जुटाया जाएगा।

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पांच साल में एक बार की जाती है गिनती
किसानों की गिनती पांच साल में एक बार की जाती है। इससे पहले 2015-16 में गिनती कराई गई थी। बाद में कोविड की वजह से स्थगित रखा गया था। अब आठ साल बाद इसकी प्रक्रिया शुरू की गई है। सूत्रों के अनुसार कृषि संगणना एक प्रकार से खेती के रकबे के साथ किसानों की संख्या का लेखा-जोखा होता है। यह कृषि सांख्यिकी के संग्रह की व्यापक प्रणाली का हिस्सा है। इसमें कृषि क्षेत्र की संरचना के बारे में जानकारी जुटाई जाती है।

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2015-16 में खेती का रकबा छोटा हुआ
वर्ष 2015-16 में किसानों की गणना और खेती के रकबे की जानकारी जुटाई गई थी। जानकारों का कहना है खेती का रकबा छोटा हुआ है। इसलिए किसानों की संख्या में वृद्धि सम्भव है, लेकिन जोत के रकबे छोटे हुए हैं। पिछली गणना में सबसे ज्यादा छोटे किसान थे। किसानों के आंकडे जुटाने वाला राजस्व अमला स्मार्ट फोन, टेबलेट, लैपटॉप, पर्सनल कम्प्यूटर जैसे हैंड हेल्ड डिवाइस का उपयोग कर सॉफ्टवेयर के माध्यम से डाटा का संग्रह कर रहा है। कृषि संगणना परिचालकों की प्रगति की निगरानी वेब पोर्टल के माध्यम से की जा रही है।

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सारा एप में विसंगतियां, नहीं मिल रहा समाधान समस्या का 
उधर फसल गिरदावरी के लिए बनाए गए सारा एप पर लगातार विसंगतियां सामने आ रही हैं। सैटेलाइट इमेज के आधार पर काम करने वाले इस एप पर किसान की जमीन में दर्ज अलग-अलग फसलों की बजाय अगर सरसों दर्ज है तो पूरी जमीन पर सिर्फ सरसों की फसल की इमेज ही दिख रही है। भूअभिलेख द्वारा फसल गिरदावरी के लिए तैयार कराए गए सारा एप पर यह विसंगति लगातार दिख रही है। विसंगति की स्थिति यह है कि गिरदावरी के दौरान किसी गांव में 70 प्रतिशत सर्वे नंबर दोबारा सत्यापन के लिए आ रहे हैं तो किसी गांव में 10 प्रतिशत नंबर सामने आ रहे हैं।

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खाली जमीन पर दिख रही फसल
रिक्त भूमि या भूखंड में भी सैटेलाइट इमेज पर फसल दिख रही है। गिरदावरी में अन्य फसलों की बजाय अधिकतर जगह गेहूं, चना, राई-सरसों की फसल ही दिख रही है। इमेज गिरदावरी का मौके पर सत्यापन करने के लिए मिले नंबर बिना किसी निर्धारित अनुपात के मिले हैं। सत्यापन के लिए समय सीमा बेहद कम दी गई है। सत्यापन के बाद पटवारी के मोबाइल से फसल अपलोड नहीं हो रही है। गिरदावरी इमेज पर डूब क्षेत्र में भी फसल दिख रही है। अपडेट के बाद भी गिरदावरी मॉड्यूल में फसल विसंगति सही करने का काम नहीं हो रहा है।

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